पी चिदंबरम (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
कांग्रेस नेता पी चिदंबरम के करीबी सूत्रों ने साल 2004 में आयकर विभाग के लिए वरिष्ठ वकील के तौर पर उनकी पत्नी द्वारा पक्ष रखे जाने पर या सारदा चिटफंड घोटाले के मामले में एक महिला की ओर से दलील देने में हितों का टकराव होने की बात को बुधवार को खारिज कर दिया।
साल 2004 में वित्त मंत्री रहे चिदंबरम के करीबी सूत्रों ने कहा कि उनकी पत्नी नलिनी को आयकर विभाग के जूनियर वकील ने वरिष्ठ वकील के तौर पर साथ में लिया था।
उन्होंने कहा कि वह विभाग के लिए पेश हुई थीं, विभाग के खिलाफ नहीं। उन्होंने वित्त मंत्री की जानकारी के बिना मामले में वकालत की। सीबीडीटी ने इससे बनी असहज स्थिति पर खेद जताते हुए बयान जारी किया था।
सूत्रों ने यह भी कहा कि चिदंबरम ने संसद में बयान दिया था। चर्चा हुई थी। बाद में लोकसभा अध्यक्ष ने घोषणा की थी कि मामला समाप्त होता है। यह 2004 में हुआ था। फिर इसे नहीं उठाया गया।
सूत्रों ने लोकसभा में ललित मोदी विवाद पर चर्चा के दौरान हस्तक्षेप करते हुए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज द्वारा दिए गए बयान पर प्रतिक्रिया दी।
सूत्रों ने यह भी कहा कि नलिनी चिदंबरम सारदा चिटफंड घोटाले के मामले में एक महिला की वकील थीं। उन्होंने महिला को लेनदेन के संबंध में परामर्श दिया। अंतत: उन्होंने अपनी मुवक्किल को लेनदेन नहीं करने की सलाह दी थी।
सूत्रों ने कहा कि इसका वित्त मंत्रालय या चिदंबरम से कोई लेनादेना नहीं है। नलिनी चिदंबरम ने करीब 3-4 साल पहले इस बारे में स्पष्टीकरण दिया था।
सूत्रों ने कहा, ‘‘इसमें हितों का टकराव कहां है?’’
साल 2004 में वित्त मंत्री रहे चिदंबरम के करीबी सूत्रों ने कहा कि उनकी पत्नी नलिनी को आयकर विभाग के जूनियर वकील ने वरिष्ठ वकील के तौर पर साथ में लिया था।
उन्होंने कहा कि वह विभाग के लिए पेश हुई थीं, विभाग के खिलाफ नहीं। उन्होंने वित्त मंत्री की जानकारी के बिना मामले में वकालत की। सीबीडीटी ने इससे बनी असहज स्थिति पर खेद जताते हुए बयान जारी किया था।
सूत्रों ने यह भी कहा कि चिदंबरम ने संसद में बयान दिया था। चर्चा हुई थी। बाद में लोकसभा अध्यक्ष ने घोषणा की थी कि मामला समाप्त होता है। यह 2004 में हुआ था। फिर इसे नहीं उठाया गया।
सूत्रों ने लोकसभा में ललित मोदी विवाद पर चर्चा के दौरान हस्तक्षेप करते हुए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज द्वारा दिए गए बयान पर प्रतिक्रिया दी।
सूत्रों ने यह भी कहा कि नलिनी चिदंबरम सारदा चिटफंड घोटाले के मामले में एक महिला की वकील थीं। उन्होंने महिला को लेनदेन के संबंध में परामर्श दिया। अंतत: उन्होंने अपनी मुवक्किल को लेनदेन नहीं करने की सलाह दी थी।
सूत्रों ने कहा कि इसका वित्त मंत्रालय या चिदंबरम से कोई लेनादेना नहीं है। नलिनी चिदंबरम ने करीब 3-4 साल पहले इस बारे में स्पष्टीकरण दिया था।
सूत्रों ने कहा, ‘‘इसमें हितों का टकराव कहां है?’’
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