भारत के पहले स्वदेशी विमान वाहक आईएनएस विक्रांत पर आयोजित नौसेना कमांडरों के सम्मेलन में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारतीय नौसेना की प्रचालन क्षमताओं की समीक्षा की. उन्होंने नौसेना कमांडरों के साथ बातचीत की और समुद्र में देश के समुद्री हितों को प्रदर्शित करने वाले प्रचालन प्रदर्शनों को देखा. कमांडरों को अपने संबोधन में रक्षा मंत्री ने सुदृढ़ बने रहने और साहस व समर्पण के साथ राष्ट्रीय हितों को संरक्षित करने के लिए नौसेना की सराहना की. उन्होंने कहा कि आज, हमारा रक्षा क्षेत्र रनवे पर है, जल्द ही जब यह उड़ान भरेगा, तो यह देश की अर्थव्यवस्था को बदल देगा.
राजनाथ सिंह ने समुद्री क्षेत्र में उभरती सुरक्षा चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए भविष्य की क्षमता विकास पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रोत्साहित किया. उन्होंने कहा, "भविष्य के संघर्ष अप्रत्याशित होंगे. लगातार विकसित हो रही विश्व व्यवस्था ने सभी को फिर से रणनीति बनाने के लिए मजबूर कर दिया है. उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं के साथ-साथ पूरे समुद्र तट पर निरंतर निगरानी रखना अति आवश्यक है. हमें भविष्य की सभी चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार रहने की जरूरत है.”
राजनाथ सिंह ने सुरक्षित सीमाओं को सामाजिक और आर्थिक प्रगति सुनिश्चित करने के लिए पहली आवश्यकता बताया और कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए नए जोश और उत्साह के साथ 'अमृत काल' में आगे बढ़ रहा है. आर्थिक समृद्धि और सुरक्षा परिदृश्य के साथ-साथ चलने पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि रक्षा क्षेत्र एक प्रमुख मांग पैदा करने वाले क्षेत्र के रूप में उभरा है, जो अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दे रहा है और देश के विकास को सुनिश्चित कर रहा है.
रक्षा मंत्री ने कहा, “अगले 5 से 10 साल में रक्षा क्षेत्र के जरिए 100 बिलियन डॉलर से अधिक के ऑर्डर मिलने की उम्मीद है. यह देश के आर्थिक विकास में एक प्रमुख भागीदार बनेगा. अगर हम 'अमृत काल' के अंत तक भारत को दुनिया की शीर्ष आर्थिक शक्तियों में देखना चाहते हैं, तो हमें रक्षा महाशक्ति बनने की ओर साहसिक कदम उठाने होंगे.”
रक्षा मंत्री ने हिंद महासागर क्षेत्र में नौसेना की विश्वसनीय और उत्तरदायी उपस्थिति का भी विशेष उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि नौसेना की मिशन-आधारित तैनाती ने क्षेत्र में मित्र देशों के 'पसंदीदा सुरक्षा भागीदार' के रूप में भारत की स्थिति को मजबूत किया है. रक्षा मंत्री ने भारत जैसे विशाल देश को पूर्णतः आत्मनिर्भर होने और अपनी सुरक्षा के लिए दूसरों पर निर्भर नहीं होने की आवश्यकता को दोहराया.
उन्होंने रक्षा क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भरता' हासिल करने के लिए सरकार द्वारा शुरू किए गए कई उपायों को सूचीबद्ध किया, जिसमें चार सकारात्मक स्वदेशीकरण सूचियों की अधिसूचना, एफडीआई सीमा में वृद्धि और एमएसएमई सहित भारतीय विक्रेताओं के लिए अनुकूल वातावरण बनाना शामिल है. उन्होंने 2023-24 में घरेलू उद्योग के लिए रक्षा पूंजीगत खरीद बजट का रिकॉर्ड 75% निर्धारित करने की हालिया घोषणा को रक्षा विनिर्माण में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता का प्रमाण बताया.
राजनाथ सिंह ने 'आत्मनिर्भर भारत' परिकल्पना के अनुरूप पोतों और पनडुब्बियों को शामिल करने और आला प्रौद्योगिकियों के विकास के माध्यम से स्वदेशीकरण और नवाचार में सबसे अग्रणी रहने के लिए नौसेना की सराहना की. आईएनएस विक्रांत के जलावतरण के बारे में उन्होंने कहा कि इसने इस विश्वास को और मजबूत किया है कि भारत की नौसेना डिजाइनिंग और विकास आशाजनक चरण में है और आने वाले समय में और अधिक प्रगति की जाएगी.
रक्षा मंत्री द्वारा देखे गए प्रचालन प्रदर्शनों में जटिल विमान वाहक और फ्लीट ऑपरेशन्स, पोतों और विमानों द्वारा हथियार फायरिंग और समुद्र में चल रही पुनःपूर्ति शामिल थी. इसके अलावा, रक्षा मंत्री द्वारा स्पॉटर ड्रोन, रिमोट कंट्रोल्ड लाइफबॉय और फायर-फाइटिंग बॉट सहित स्वदेशी उत्पादों का प्रदर्शन देखा गया. बिग डेटा एनालिटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, लेजर टेक्नोलॉजी और क्रिप्टोग्राफी के क्षेत्र में स्वदेशी स्रोतों के माध्यम से तकनीकी वक्र को‘पोल-वॉल्टिंग' करने की दिशा में भारतीय नौसेना द्वारा उठाए गए कदमों का भी प्रदर्शन किया गया.
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