नई दिल्ली:
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने शुक्रवार को कहा कि विवादास्पद अध्यादेश पर राहुल गांधी ने नहीं राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने स्थिति को संभाला और कांग्रेस उपाध्यक्ष का उपयोग संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने केवल छवि सुधार के लिए किया था।
अपने ब्लॉग पर आडवाणी ने लिखा कि कैबिनेट द्वारा दागी जन प्रतिनिधियों से संबंधित अध्यादेश को वापस लेना संप्रग सरकार के अनाकर्षक इतिहास का एक और बदसूरत अध्याय है।
आडवाणी ने कहा कि अधिकांश मीडिया खबरों में इस पूरी घटना को राहुल की जीत के तौर पर दिखाया गया है। इससे साफ है कि आजकल मीडिया कितना सतही हो गया है।
आडवाणी ने लिखा कि सोनिया जी ने छवि सुधार के लिए राहुल का उपयोग किया। इस कार्य का उद्देश्य पूरी तरह पूर्ण हो सकता था यदि राहुल केवल साधारण रूप से कहते कि सरकार द्वारा लिए गए फैसले की समीक्षा की जरूरत है।
आडवाणी ने कहा कि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कांग्रेस के मंत्रियों को बुलाकर अध्यादेश के प्रति अपनी आपत्तियों की जानकारी उन्हें दी। राष्ट्रपति द्वारा बगैर हस्ताक्षर के अध्यादेश को वापस कर देना सरकार के लिए एक बहुत बड़ा झटका साबित होता। इसलिए राहुल गांधी को इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए इस्तेमाल किया गया।
अपने ब्लॉग पर आडवाणी ने लिखा कि कैबिनेट द्वारा दागी जन प्रतिनिधियों से संबंधित अध्यादेश को वापस लेना संप्रग सरकार के अनाकर्षक इतिहास का एक और बदसूरत अध्याय है।
आडवाणी ने कहा कि अधिकांश मीडिया खबरों में इस पूरी घटना को राहुल की जीत के तौर पर दिखाया गया है। इससे साफ है कि आजकल मीडिया कितना सतही हो गया है।
आडवाणी ने लिखा कि सोनिया जी ने छवि सुधार के लिए राहुल का उपयोग किया। इस कार्य का उद्देश्य पूरी तरह पूर्ण हो सकता था यदि राहुल केवल साधारण रूप से कहते कि सरकार द्वारा लिए गए फैसले की समीक्षा की जरूरत है।
आडवाणी ने कहा कि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कांग्रेस के मंत्रियों को बुलाकर अध्यादेश के प्रति अपनी आपत्तियों की जानकारी उन्हें दी। राष्ट्रपति द्वारा बगैर हस्ताक्षर के अध्यादेश को वापस कर देना सरकार के लिए एक बहुत बड़ा झटका साबित होता। इसलिए राहुल गांधी को इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए इस्तेमाल किया गया।
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