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दरगाह के पास दिए जलाने का आदेश देने वाले जज के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव, लगाए गए हैं ये आरोप

तमिलनाडु के दरगाह के पास एक खंभे पर दिए जलाने का आदेश देने वाले मद्रास हाई कोर्ट के जज के खिलाफ विपक्ष के 120 सांसदों ने महाभियोग का प्रस्ताव लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को सौंपा है.

दरगाह के पास दिए जलाने का आदेश देने वाले जज के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव, लगाए गए हैं ये आरोप
नई दिल्ली:

विपक्षी सांसदों ने एक बड़ा कदम उठाते हुए मंगलवार को मद्रास हाई कोर्ट के जज जीआर स्वामीनाथन के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही शुरू करने की मांग की है. लोकसभा अध्यक्ष को ओम बिड़ला को सौंपे गए प्रस्ताव पर 120 सांसदों के हस्ताक्षर हैं. इस नोटिस पर हस्ताक्षर करने वालों में डीएमके, सपा, कांग्रेस नेताओं के सांसदों के दस्तखत हैं. नौ दिसंबर 2025 को जारी इस नोटिस में कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 217 और 124 के तहत जस्टिस स्वामीनाथन को हटाने का प्रस्ताव लाया गया है.

कौन कौन से सांसद ने किया है प्रस्ताव पर दस्तखत

लोकसभा अध्यक्ष को यह नोटिस डीएमके सांसद कनीमोई, लोकसभा में डीएमके के नेता टीआर बालू, समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव और कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने सौंपा. इस प्रस्ताव पर 120 सांसदों के हस्ताक्षर हैं. इनमें डीएमके के टीआर बालू, ए राजा, कनीमोझी, दयानिधि मारन, समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव और डिंपल यादव, कांग्रेस की प्रियंका गांधी वाड्रा, गौरव गोगोई, मनिकम टैगोर, एनसीपी-शरद पवार की सुप्रिया सुले, शिवसेना (यूबीटी) के अरविंद सावंत, आईयूएमएल के ईटी मुहम्मद बसीर, एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी, वीसीके के थोल तिरुमावलवन आदि के दस्तखत हैं. 

लोकसभा अध्यक्ष को सौंपे गए प्रस्ताव में आरोप लगाया गया है कि जज के आचरण से उनकी निष्पक्षता और पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे हैं. उन पर यह भी आरोप लगाया गया है कि उन्होंने एक वरिष्ठ वकील और एक खास समुदाय के कुछ वकीलों का अनुचित पक्ष लिया. इसके साथ ही यह भी दावा किया गया है कि उनके कुछ फैसले राजनीतिक विचारधारा से प्रभावित रहे हैं, ये फैसले संविधान के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के खिलाफ हैं.

जीआर स्वामीनाथन मद्रास हाई कोर्ट के जज हैं.

जीआर स्वामीनाथन मद्रास हाई कोर्ट के जज हैं.

क्या है पूरा मामला

मद्रास हाई कोर्ट के मदुरै पीठ ने चार दिसंबर को मदुरै के जिला कलेक्टर और शहर के पुलिस आयुक्त की ओर से दायर एक अंतर-न्यायालयी अपील खारिज करते हुए एकल न्यायाधीश के आदेश को बरकरार रखा, जिसमें श्रद्धालुओं को दीपथून में 'कार्तिगई दीपम' दीप जलाने की अनुमति दी गई थी. जब आदेश का क्रियान्वयन नहीं हुआ तो एकल न्यायाधीश ने तीन दिसंबर को एक और आदेश पारित कर श्रद्धालुओं को स्वयं दीप जलाने की अनुमति दे दी और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) को उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया.

तमिलनाडु सरकार ने दरगाह के पास स्थित मंदिर में 'कार्तिगई दीपम' जलाने की अनुमति देने के मद्रास हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. सुप्रीम कोर्ट ने तिरुपरमकुंद्रम में स्थित पत्थर के एक दीप स्तंभ 'दीपथून' में दरगाह के निकट अरुलमिघु सुब्रमणिय स्वामी मंदिर के श्रद्धालुओं को परंपरागत 'कार्तिगई दीपम' का दीपक जलाने की अनुमति देने के मद्रास हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ तमिलनाडु सरकार की याचिका पर सुनवाई के लिए पांच दिसंबर को सहमति जताई थी.

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