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This Article is From Mar 05, 2023

विपक्ष की आठ पार्टियों ने "एजेंसियों के दुरुपयोग" पर पीएम मोदी को लिखा पत्र, कांग्रेस नदारद

दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल और पंजाब के CM भगवंत मान ने भी जांच एजेंसियों की निष्पक्षता पर सवाल उठाए हैं. बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी केंद्र सरकार पर विपक्ष के नेताओं के खिलाफ छापेमारी करने का विरोध किया है.

नौ विपक्षी नेताओं ने पीएम नरेंद्र मोदी को संयुक्त पत्र लिखकर केंद्र सरकार पर केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है.

नई दिल्ली:

आम आदमी पार्टी (आप) के नेता मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी को लेकर जारी राजनीतिक जंग के बीच आठ विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर केंद्रीय जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाया है. हालांकि, विपक्षी नेताओं के हस्ताक्षर वाले इस पत्र में कांग्रेस शामिल नहीं है. पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में BRS प्रमुख और तेलंगाना के सीएम चंद्रशेखर राव, JKNC प्रमुख फारूक अब्दुल्लाह, AITC प्रमुख ममता बनर्जी, NCP प्रमुख शरद पवार, उद्धव ठाकरे, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, बिहार के डिप्टी सीएम और आरजेडी के चेयरपर्सन तेजस्वी यादव और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव शामिल हैं.

भाजपा में शामिल नेताओं की जांच धीमी
पत्र में कहा गया है, "हमें उम्मीद है कि आप इस बात से सहमत होंगे कि भारत अभी भी एक लोकतांत्रिक देश है. विपक्ष के सदस्यों के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों के खुलेआम दुरुपयोग से लगता है कि हम एक लोकतंत्र से एक निरंकुशता में परिवर्तित हो गए हैं." विपक्षी नेताओं ने पीएम मोदी को लिखे पत्र में कहा, "लंबे समय तक विच-हंट के बाद, मनीष सिसोदिया को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने बिना किसी सबूत के कथित अनियमितता के सिलसिले में गिरफ्तार किया. 2014 के बाद से आपके प्रशासन के तहत जांच एजेंसियों द्वारा बुक किए गए, गिरफ्तार किए गए, छापे मारे गए या पूछताछ की गई प्रमुख राजनेताओं की कुल संख्या में से, अधिकतम विपक्ष के हैं. दिलचस्प बात यह है कि जांच एजेंसियां ​​​​भाजपा में शामिल होने वाले विपक्षी राजनेताओं के खिलाफ मामलों में धीमी गति से चलती हैं." 

गिनाए उदाहरण
विपक्षी नेताओं ने असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा का उदाहरण दिया, जो 2014 और 2015 में शारदा चिटफंड घोटाले को लेकर सीबीआई और ईडी की जांच के दायरे में थे, जब वह कांग्रेस के साथ थे. पत्र में लिखा है, "सरमा के भाजपा में शामिल होने के बाद मामला आगे नहीं बढ़ा. इसी तरह, टीएमसी (तृणमूल कांग्रेस) के पूर्व नेता शुभेंदु अधिकारी और मुकुल रॉय नारदा स्टिंग ऑपरेशन मामले में ईडी और सीबीआई जांच के दायरे में थे, लेकिन इनके मामलों में भी भाजपा में शामिल होने के बाद से कोई प्रगति नहीं हुई. 2014 के बाद से, विपक्षी नेताओं के खिलाफ छापे, दर्ज किए गए मामले और गिरफ्तारी की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. चाहे वह लालू प्रसाद यादव (राष्ट्रीय जनता दल), संजय राउत (शिवसेना), आजम खान (समाजवादी पार्टी), नवाब मलिक और अनिल देशमुख (NCP), अभिषेक बनर्जी (TMC)हों. ऐसे कई दर्ज मामलों में गिरफ्तारियां चुनावों के समय हुईं हैं, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि वे राजनीति से प्रेरित थे." आपको बता दें कि नेशनल हेराल्ड अखबार चलाने वाली कंपनी यंग इंडियन के एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड के अधिग्रहण से जुड़े कथित मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा गांधी परिवार की जांच की जा रही है. ईडी ने राहुल गांधी और उनकी मां सोनिया गांधी दोनों से पिछले साल पूछताछ की थी.

राजनीतिक प्रतिशोध के तर्क को खारिज किया
मनीष सिसोदिया को दिल्ली के लिए शराब नीति तैयार करने में कथित भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. भाजपा ने आम आदमी पार्टी के राजनीतिक प्रतिशोध के तर्क को खारिज करते हुए कहा कि भले ही वह शिक्षा मंत्री हों, जिन्होंने स्कूलों में सुधार के लिए कुछ काम किया हो, लेकिन वह इसे पर्दे के रूप में इस्तेमाल नहीं कर सकते और इसके पीछे छिपकर भ्रष्टाचार में लिप्त हो सकते हैं. दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने मनीष सिसोदिया के लिए समर्थन जुटाने के लिए दिल्ली के सरकारी स्कूलों में "आई लव मनीष सिसोदिया" डेस्क स्थापित करने की आम आदमी पार्टी की एक कथित योजना का जिक्र करते हुए शुक्रवार को कहा, 'यह खेदजनक है कि सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद भी दिल्ली सरकार शिक्षा के नाम पर अपनी गंदी राजनीति नहीं रोक रही है और अब इसमें मासूम स्कूली बच्चों को शामिल करने की हद तक गिर गई है.' हालांकि, आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की सत्ताधारी पार्टी की छवि को खराब करने के लिए भाजपा द्वारा गढ़ी गई एक फर्जी खबर बताया है. वहीं, केंद्रीय एजेंसियों ने वर्षों से कहा है कि वे झूठे आरोपों पर लोगों को गिरफ्तार नहीं करते हैं और उन्हें केवल तभी छोड़ते हैं, जब वे पूरी तरह से जांच के बाद दोषी नहीं पाए जाते हैं, भले ही उनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि कुछ भी हो.

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