
भारतीय सेना (Indian Army) ने 'ऑपरेशन सिंदूर' (Operation Sindoor) में अपने पराक्रम से न सिर्फ पाकिस्तान की सेना को चौंकाया बल्कि यह हमला उनकी सोच से परे था. पहलगाम आतंकी हमले (Pahalgam Terror Attack) के बाद भारतीय सेना ने 15 दिनों तक बदला लेने की तैयारी की और बेहद जबरदस्त रणनीतिक मंथन के बाद पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकी ठिकानों को बेहद सटीकता से निशाना बनाया गया. एनडीटीवी इंडिया को सेना के एक अधिकारी ने बातचीत के दौरान यह बताया है. उन्होंने बताया कि कैसे भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया. साथ ही बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के तहत पीओके में जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा से हमला किया गया था. यहां पर स्वदेशी 105 एमएम फील्ड गन से पाकिस्तान की लीपा वैली को निशाना बनाया था और आतंकियों के ठिकानों को बर्बाद कर दिया था. हालांकि हम सुरक्षा कारणों से सेना के अधिकारी का नाम नहीं बता रहे हैं.
सेना के अधिकारी ने बताया कि एलओसी पर एक पोस्ट है, जहां से ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च किया गया था. यहां से पीओके की दूरी महज 200 से 400 मीटर है. यहां पर मौजूद जवान रॉकेट लांचर और AK 203 के साथ बेहद अलर्ट हैं. साथ ही पाकिस्तान की किसी भी हरकत का जवाब देने के लिए सेना चौबीस घंटे तैयार है.
सैन्य अधिकारी ने एनडीटीवी इंडिया को क्या बताया?
- 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमला हुआ और हमले में मारे गए लोगों को न्याय दिलाना और आतंकी कैम्प और ढांचा को बरबाद करने की तैयार शुरू हुई.
- 7 मई तक सेना की बदला लेने की तैयारी की. कुल 15 दिनों तक सेना ने जबरदस्त रणनीतिक मंथन किया.
- लक्ष्य तय किया गया और यह भी कि कब हिट करना है. साथ ही चिनार कोर ने यह सुनिश्चित किया कि दुश्मन के लिए यह हमला एक सरप्राइज हो, जिसके बारे में उसने सोचा तक ना हो.
- 7 मई को सेना ने एलओसी से 34 किलोमीटर दूर मुज्जफराबाद के सवाई नाला और सैयदना बिलाल कैंप पर हमला किया.
- साथ ही सेना पहले से तैयार थी कि जब पाकिस्तान जवाबी कार्रवाई करेगा तो उससे कैसे निपटना है. पाकिस्तान की सेना हमला होने के समय पहले समझी ही नहीं कि आखिर हुआ क्या? और समझकर जब तक कोई कार्रवाई करती तब तक उसे विफल करने में सेना की आर्टिलरी और एयर डिफेंस गन ने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
- आर्टिलरी गन ने पाकिस्तान के हर हमले का जवाब दिया तो एयर डिफेंस गनों ने पाकिस्तान के ज्यादातर हमलों को निष्क्रिय कर दिया.
- हमले की तारीख का पता सिर्फ कोर कमांडर को था, हालांकि इसकी तैयारी हर सेक्टर पर रोजाना होती थी.
- जरूरत के मुताबिक देश भर से हथियार और सिस्टम जुटाए गए. सेना की अतिरिक्त मूवमेंट नहीं की गई, जिससे दुश्मन को कुछ पता ना चले. बेहद सटीक निशाने गए और ऑपरेशन के दौरान कहीं कोई चूक नहीं हुई.
- कुछ आतंकी कैंपों में महिला और बच्चे होने की वजह से उसे निशाना नहीं बनाया गया.
- अकेले कश्मीर के दूसरी तरफ करीब 74 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए. वहीं कम से कम 15 आतंकी भी सेना के हमले में ढेर हुए.
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