
NDTV इंडिया पर एक दिन के बैन की चौतरफा आलोचना हुई थी
- केंद्र ने 9 नवंबर को चैनल को ऑफएयर रखने का आदेश दिया था
- सरकार का आरोप, पठानकोट हमले के दौरान संवेदनशील जानकारी प्रसारित हुई
- प्रतिबंध के आदेश की संपादकों और पत्रकारों ने की थी कड़ी आलोचना
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नई दिल्ली:
एनडीटीवी के हिंदी चैनल पर एक दिन के बैन संबंधी आदेश को चौतरफा आलोचना के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्री वेंकैया नायडू ने स्थगित कर दिया है. यह फैसला तब आया जब सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को इस बैन पर स्टे संबंधी याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया.
सरकार ने NDTV इंडिया पर इसी साल जनवरी में पठानकोट एयरफोर्स बेस पर हुए आतंकवादी हमले के दौरान संवेदनशील जानकारी का प्रसारण करने का आरोप लगाते हुए बुधवार, 9 नवंबर को उसे एक दिन के लिए ऑफएयर रखे जाने का आदेश दिया था.
NDTV ने इन आरोपों का खंडन किया और कहा था कि अन्य चैनलों तथा समाचारपत्रों ने भी वही जानकारी दिखाई या रिपोर्ट की थी.
इस संबंध में सोमवार की दोपहर NDTV के प्रतिनिधियों ने सूचना और प्रसारण मंत्री से मुलाकात की. उन्होंने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि एनडीटीवी इंडिया ने जनवरी में पठानकोट के एयरफोर्स बेस पर हमले के संबंध में संवेदनशील ब्यौरे का प्रसारण नहीं किया. साथ ही कहा कि चैनल को अपनी तरफ से साक्ष्य पेश करने का उपयुक्त मौका नहीं दिया. चैनल ने ऐसी कोई सूचना प्रसारित नहीं की जो उस वक्त बाकी चैनलों और अख़बारों से भिन्न रही हो.
उसके बाद मंत्रालय ने केस की समीक्षा तक बैन को स्थगित करने का आदेश पारित किया.
उल्लेखनीय है कि पिछले हफ्ते एनडीटीवी इंडिया को 24 घंटे प्रसारण (बुधवार) को रोकने का आदेश दिया गया था. सोमवार को प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने सरकार के बैन संबंधी आदेश को ऐसे समय में ''अघोषित आपातकाल'' करार दिया जब पहले से ही ''देश में प्रेस की स्वतंत्रता पर खतरा बढ़ रहा है.''
बैन की घोषणा के बाद एनडीटीवी को जो अपार समर्थन और सहयोग मिला उसके प्रति एनडीटीवी आभार प्रकट करता है. देश के हर कोने से जर्नलिस्टों की सभी एसोसिएशन संवैधानिक अधिकारों के लिए लड़ाई में उठ खड़े होने के साथ स्पष्ट कर दिया कि केवल एनडीटीवी या किसी चैनल के लिए नहीं बल्कि वे लोकतंत्र के एक बेहद अहम स्तंभ के रूप में स्वतंत्र और जिम्मेदार मीडिया के पक्ष में खड़े हुए हैं.
आप दर्शकों ने जो लगातार हमारे प्रति भरोसा बनाए रखा है और पिछले 25 वर्षों में हमने अपनी रिपोर्टों के दम पर जो पुरस्कार जीते हैं, वह अनुभव बताता है कि एनडीटीवी संतुलित और जिम्मेदार पत्रकारिता के लिए प्रतिबद्ध रहा है.
यहां पढ़ें बैन को स्थगित करने संबंधी पूरा आदेश :
सरकार ने NDTV इंडिया पर इसी साल जनवरी में पठानकोट एयरफोर्स बेस पर हुए आतंकवादी हमले के दौरान संवेदनशील जानकारी का प्रसारण करने का आरोप लगाते हुए बुधवार, 9 नवंबर को उसे एक दिन के लिए ऑफएयर रखे जाने का आदेश दिया था.
NDTV ने इन आरोपों का खंडन किया और कहा था कि अन्य चैनलों तथा समाचारपत्रों ने भी वही जानकारी दिखाई या रिपोर्ट की थी.
इस संबंध में सोमवार की दोपहर NDTV के प्रतिनिधियों ने सूचना और प्रसारण मंत्री से मुलाकात की. उन्होंने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि एनडीटीवी इंडिया ने जनवरी में पठानकोट के एयरफोर्स बेस पर हमले के संबंध में संवेदनशील ब्यौरे का प्रसारण नहीं किया. साथ ही कहा कि चैनल को अपनी तरफ से साक्ष्य पेश करने का उपयुक्त मौका नहीं दिया. चैनल ने ऐसी कोई सूचना प्रसारित नहीं की जो उस वक्त बाकी चैनलों और अख़बारों से भिन्न रही हो.
उसके बाद मंत्रालय ने केस की समीक्षा तक बैन को स्थगित करने का आदेश पारित किया.
उल्लेखनीय है कि पिछले हफ्ते एनडीटीवी इंडिया को 24 घंटे प्रसारण (बुधवार) को रोकने का आदेश दिया गया था. सोमवार को प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने सरकार के बैन संबंधी आदेश को ऐसे समय में ''अघोषित आपातकाल'' करार दिया जब पहले से ही ''देश में प्रेस की स्वतंत्रता पर खतरा बढ़ रहा है.''
बैन की घोषणा के बाद एनडीटीवी को जो अपार समर्थन और सहयोग मिला उसके प्रति एनडीटीवी आभार प्रकट करता है. देश के हर कोने से जर्नलिस्टों की सभी एसोसिएशन संवैधानिक अधिकारों के लिए लड़ाई में उठ खड़े होने के साथ स्पष्ट कर दिया कि केवल एनडीटीवी या किसी चैनल के लिए नहीं बल्कि वे लोकतंत्र के एक बेहद अहम स्तंभ के रूप में स्वतंत्र और जिम्मेदार मीडिया के पक्ष में खड़े हुए हैं.
आप दर्शकों ने जो लगातार हमारे प्रति भरोसा बनाए रखा है और पिछले 25 वर्षों में हमने अपनी रिपोर्टों के दम पर जो पुरस्कार जीते हैं, वह अनुभव बताता है कि एनडीटीवी संतुलित और जिम्मेदार पत्रकारिता के लिए प्रतिबद्ध रहा है.
यहां पढ़ें बैन को स्थगित करने संबंधी पूरा आदेश :
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