Delhi Stampede: पूरा परिवार महाकुंभ में स्नान करने के इरादे से शनिवार को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर पहुंचा. साथ में सात साल की रिया भी थी. उस बच्ची को क्या पता था कि मां-पिता के साथ ये उसका आखिरी सफर है. रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ में उसकी जान चली गई. एनडीटीवी ने रिया के पिता ओपिल सिंह से बात की तो वो पूरी बात बताते-बताते कई बार फफक पड़े. मुआवजे पर कहने लगे कि इस पैसे को लेकर क्या करेंगे. क्या कोई पिता अपनी बेटी को आग देना चाहेगा? इससे भी बड़ी बात ये कि वे रेलवे से ज्यादा इस हादसे के लिए किसी और को जिम्मेदार मानते हैं.
क्या हुआ था
ओपिल सिंह ने बताया कि हम लोग चौदह नंबर के प्लेटफॉर्म से नीचे उतरे, लेकिन भीड़ देख कर वापस लौटने लगे. मैंने परिवार से कहा कि भीड़ ज्यादा है. चलो घर चलते हैं. बच्चों को लेकर नहीं जाते हैं. इसके बाद जैसे ही ऊपर जाने के लिए सीढ़ियों पर चढ़ने लगे तो मेरी वाइफ और छोटा वाला भाई ऊपर चढ़ने लगे. मैं और मेरी बेटी पीछे थे. इसी बीच ऊपर से नीचे पांच-छह हज़ार लोग नीचे उतरने लगे. अचानक लोग एक के ऊपर एक गिरते चले गए. समझने का मौका तक नहीं मिला. मेरी बेटी रिया गिर पड़ी और उसके सिर में कील घुस गया. खून बहने लगा. मगर लोग रुके नहीं. पुलिस उस वक्त तक नहीं आई. एक पुलिस वाला सीटी बजाते हुए चला गया.
"आपने देर कर दी"
रिया के पिता ने आगे कहा, "हम किसी तरह फिर नीचे उतरे तो किसी ने मेरी बेटी को दिया. किसी तरह रेलवे स्टेशन से बाहर निकले. इसी बीच लोगों ने मेरा पर्स और मोबाइल चुरा लिया. एंबुलेंस वहां था नहीं तो ऑटो से भागे. कुछ कुलियों ने सौ-सौ रुपये मदद की. रिया को ऑटो से लेकर हम कलावती अस्पताल पहुंचे. वहां पहुंचे तो अस्पताल वालों ने कहा आपने देर कर दी आने में. ऑटो वाला कैसे इतनी जल्दी लेकर पहुंच पाता. रिया चली गई. सीनियर डॉक्टर ने बोला हम एक बार और चेक कर रहे हैं. उन्होंने चेक किया और कह दिया आपकी बेटी नहीं बची."
मुआवजे पर ओपिल सिंह बोले, "दस लाख रुपये लेकर क्या करेंगे? दस लाख में मेरी बेटी तो नहीं आ सकती? आप एक चीज़ बताओ, बच्ची के बदले पैसे लेना अच्छा लगेगा? दूसरी बात उसे डोली में लेकर भेजना था, आग कैसे दूंगा? आप ये सोचो, कौन पिता अपनी बेटी को आग देना चाहेगा?" ओपिल सिंह के रिश्तेदारों ने बताया कि रिया बहुत ही होनहार और मिलनसार बच्ची थी.
भगदड़ में गलती किसकी थी?
ओपिल सिंह से जब पूछा गया कि आखिर भगदड़ में गलती किसकी थी? तो बोले आजकल के नौजवान लड़कों की सबसे बड़ी गलती है. भगदड़ के समय सब चिल्ला रहे थे कि ऊपर चढ़ो-ऊपर चढ़ो, लेकिन ऊपर नहीं चढ़ रहे थे. हर समय पुलिस या सरकार की ज़िम्मेदारी नहीं होती. मेट्रो से जैसे ही नई दिल्ली मेट्रो स्टेशन पर उतरा तो इतनी भीड़ थी कि नौजवान लड़के किसी को कूपन लगाने का समय तक नहीं दे रहे थे. सब घुसते चले आ रहे थे. भगदड़ के समय भी किसी ने हेल्प नहीं की. सब बस भागते गए. ओपिल सिंह के रिश्तेदारों ने भी बताया कि भगदड़ के समय ज्यादातर नौजवान ही रेलवे स्टेशन पर मौजूद थे. उन्होंने बच्चों और बुजुर्गों की बिल्कुल परवाह नहीं की.
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