नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के नेता उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) ने कहा है कि जब तक जम्मू एवं कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश बना रहेगा, वह 'कोई विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे...' 5 अगस्त को जम्मू एवं कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने का एक साल पूरा होने जा रहा है, और इसी उपलक्ष्य में दैनिक समाचारपत्र 'इंडियन एक्सप्रेस' में लिखे एक तल्ख आलेख में उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा यह कदम उठाए जाने से कुछ ही दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) से हुई मुलाकात को भी याद किया.
इसी साल हिरासत से रिहा किए गए उमर अब्दुल्ला ने आलेख में लिखा, "मेरे लिए... यह बिल्कुल स्पष्ट है कि जब तक जम्मू एवं कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश रहेगा, मैं कोई विधानसभा चुनाव नहीं लड़ूंगा... देश की सबसे शक्तिशाली विधानसभा का सदस्य होने, और छह साल तक उसी सदन का नेता होने के बाद मैं ऐसे सदन का सदस्य नहीं बन सकता, जिसकी ताकत उस तरह छीनी गई हो, जैसे हमारे सदन की..."
NDTV की ख़बर शेयर कर उमर अब्दुल्ला ने पूछा सवाल, प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा - बिल्कुल सही हो आप...
उमर अब्दुल्ला तथा उनके पिता फारुक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती सहित सैकड़ों राजनेताओं को पिछले साल अगस्त में हिरासत में ले लिया गया था या गिरफ्तार कर लिया गया था, जब केंद्र ने संविधान के अनुच्छेद 370 के अंतर्गत राज्य को दिए गए विशेष दर्जे को खत्म कर उसे दो केंद्रशासित प्रदेशों - जम्मू एवं कश्मीर और लद्दाख - में बांट दिया था. ये तीनों नेता - उमर व फारुक अब्दुल्ला तथा महबूबा मुफ्ती - राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रहे हैं.
'ब्रदर इन लॉ' सचिन पायलट से जुड़े मामले को लेकर उमर अब्दुल्ला ने किया ट्वीट, कहा-बस अब बहुत हुआ..
केंद्र द्वारा इस कदम के लिए बताए गए कारणों को लेकर उमर अब्दुल्ला ने कहा, "कोई भी कारण कसौटी पर खरा नहीं उतरता..." उन्होंने लिखा, "इसने (जम्मू एवं कश्मीर ने) लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में शिरकत की और देश के विकास में हिस्सेदारी का प्रयास किया, लेकिन उसके साथ किए वादे को पूरा नहीं किया गया... यह वह क्षण है, जब यह सवाल बेहद अहम हो जाता है कि लोकप्रिय होना बेहतर है, या सही होना... जम्मू एवं कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किया जाना लोकप्रिय कदम हो सकता है, लेकिन देश की प्रभुता से जुड़ी प्रतिबद्धताओं से पीछे हट जाना कभी सही नहीं हो सकता..."
“Many reasons were given to justify the complete dilution of Article 370 when it was being rammed through Parliament, none stands the test of basic scrutiny. Whether on fuelling terrorism; lack of investment; or human development indices”
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) July 27, 2020
श्रीनगर में आठ माह तक हिरासत में रहने के बाद उमर अब्दुल्ला को 24 मार्च को रिहा किया गया था. उससे कुछ ही दिन पहले उनके पिता डॉ फारुक अब्दुल्ला को भी घर में नज़रबंदी से रिहा किया गया था. महबूबा मुफ्ती अब तक हिरासत में हैं.
उमर अब्दुल्ला ने पिछले साल उठाए गए इस बड़े कदम से कुछ ही दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हुई अपनी मुलाकात के बारे में भी लिखा. उन्होंने लिखा, "यह ऐसी मुलाकात नहीं थी, जो आसानी से भुलाई जा सके... किसी दिन मैं उसके बारे में भी लिखूंगा, लेकिन इस वक्त इससे ज़्यादा कुछ नहीं कहना चाहूंगा कि जब हमारी मुलाकात खत्म हुई, तब वह कतई दिमाग में नहीं आया था, जो अगले 72 घंटे में हुआ..."
अपने आलेख की शुरुआत में ही उमर अब्दुल्ला ने लिखा है, "उस सुबह मैंने जो कुछ अपने TV स्क्रीन पर देखा, उस पर यकीन करना आज तक नामुमकिन है... कुछ ही घंटे पहले, आधी रात में मुझे घर में नज़रबंद कर दिया गया, और दिन खत्म होते-होते मुझे सरकारी गेस्टहाउस में शिफ्ट कर दिया गया..."
10 मार्च को 50 साल के हुए उमर अब्दुल्ला को बिना आरोपों के हिरासत में लिया गया था, लेकिन बाद में सरकार ने उन्हें पब्लिक सेफ्टी एक्ट (PSA) के तहत बुक किया. पिछले साल सितंबर में डॉ फारुक अब्दुल्ला पर भी PSA के तहत आरोप लगाए गए.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं