
प्रेस वार्ता में उमर अब्दुल्ला
उमर ने कहा, हमारे इतिहास और हमलों के समय तथा स्थल को देखते हुए, एक बात तो पूरी तरह स्पष्ट है कि इन आतंकवादी हमलों का मकसद भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों के बीच प्रस्तावित वार्ता को पटरी से उतारना है।
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श्रीनगर:
दोहरे आतंकवादी को ‘कायराना’ हरकत बताते हुए जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि ये हमले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और उनके पाकिस्तानी समकक्ष नवाज शरीफ के बीच वार्ता को पटरी से उतारने के लिए किए गए हैं।
उमर ने संवाददाताओं से कहा, हमारे इतिहास और हमलों के समय तथा स्थल को देखते हुए, एक बात तो पूरी तरह स्पष्ट है कि इन आतंकवादी हमलों का मकसद भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों के बीच प्रस्तावित वार्ता को पटरी से उतारना है। उमर ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के हितों की दुश्मन रही ताकतों ने हमेशा भारत और पाकिस्तान के बीच शांति वार्ता को पटरी से उतारने की कोशिश की है और आतंकवादी हमले उसी दिशा में उठाया गया एक कदम है।
मुख्यमंत्री ने कहा, ये (हमलावर) वे ताकते हैं, जो हमेशा जम्मू-कश्मीर के हितों की दुश्मन रही हैं, जिन्होंने हमेशा शांति प्रक्रिया की किसी भी शुरुआत को पटरी से उतारने की कोशिश की है। वे राज्य में खलबली को जारी रखना चाहते हैं। यह इसी दिशा में एक दूसरा कदम है।
उल्लेखनीय है कि उग्रवादियों ने सेना की वर्दी पहने आज सुबह जम्मू क्षेत्र में सेना के एक शिविर तथा एक पुलिस स्टेशन पर हमला किया जिसमें एक लेफ्टिनेंट कर्नल समेत आठ लोग मारे गए ।
प्रधानमंत्री सिंह और शरीफ के बीच रविवार को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र से इतर बैठक का कार्यक्रम है। उमर ने कहा कि प्रधानमंत्री पर एक राजनीतिक दबाव होगा कि वह पाकिस्तान के साथ वार्ता प्रक्रिया में आगे नहीं बढ़ें, लेकिन इस प्रकार का कोई भी कदम कठुआ और सांबा में हमलों को अंजाम देने वालों की जीत होगा।
उन्होंने कहा, स्पष्ट रूप से वार्ता प्रक्रिया में आगे बढ़ने से रोकने के लिए प्रधानमंत्री पर राजनीतिक दबाव होगा। यह प्रधानमंत्री और उनके सलाहकारों को तय करना है कि इस मामले में कैसे आगे बढ़ा जाए। उन्होंने कहा, जहां तक हमारा इस राज्य में संबंध है, हम हमेशा इस राज्य की सभी समस्याओं के शांतिपूर्ण समाधान के पक्ष में रहे हैं और हम उम्मीद करते हैं कि यही रास्ता है, जिसका अनुसरण करना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि इन हमलों के कारण वार्ता प्रक्रिया बाधित होती है तो यह उन बहादुर जवानों और नागरिकों के बलिदान के साथ अन्याय होगा, जिन्होंने अपनी शहादत दी।
उन्होंने कहा, उन्होंने अपनी शहादत इसलिए नहीं दी थी कि आतंकवादी अपने इरादों में कामयाब हो जाएं। उन्होंने शांति के लिए अपनी जिंदगी दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि पाकिस्तान को स्पष्ट शब्दों में बताए जाने की जरूरत है कि यदि इस प्रकार के हमले जारी रहते हैं तो चीजें सामान्य नहीं रह सकती।
उमर ने कहा, लेकिन यह संदेश हमें उन्हें आमने-सामने बैठकर देना है।
उमर ने संवाददाताओं से कहा, हमारे इतिहास और हमलों के समय तथा स्थल को देखते हुए, एक बात तो पूरी तरह स्पष्ट है कि इन आतंकवादी हमलों का मकसद भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों के बीच प्रस्तावित वार्ता को पटरी से उतारना है। उमर ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के हितों की दुश्मन रही ताकतों ने हमेशा भारत और पाकिस्तान के बीच शांति वार्ता को पटरी से उतारने की कोशिश की है और आतंकवादी हमले उसी दिशा में उठाया गया एक कदम है।
मुख्यमंत्री ने कहा, ये (हमलावर) वे ताकते हैं, जो हमेशा जम्मू-कश्मीर के हितों की दुश्मन रही हैं, जिन्होंने हमेशा शांति प्रक्रिया की किसी भी शुरुआत को पटरी से उतारने की कोशिश की है। वे राज्य में खलबली को जारी रखना चाहते हैं। यह इसी दिशा में एक दूसरा कदम है।
उल्लेखनीय है कि उग्रवादियों ने सेना की वर्दी पहने आज सुबह जम्मू क्षेत्र में सेना के एक शिविर तथा एक पुलिस स्टेशन पर हमला किया जिसमें एक लेफ्टिनेंट कर्नल समेत आठ लोग मारे गए ।
प्रधानमंत्री सिंह और शरीफ के बीच रविवार को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र से इतर बैठक का कार्यक्रम है। उमर ने कहा कि प्रधानमंत्री पर एक राजनीतिक दबाव होगा कि वह पाकिस्तान के साथ वार्ता प्रक्रिया में आगे नहीं बढ़ें, लेकिन इस प्रकार का कोई भी कदम कठुआ और सांबा में हमलों को अंजाम देने वालों की जीत होगा।
उन्होंने कहा, स्पष्ट रूप से वार्ता प्रक्रिया में आगे बढ़ने से रोकने के लिए प्रधानमंत्री पर राजनीतिक दबाव होगा। यह प्रधानमंत्री और उनके सलाहकारों को तय करना है कि इस मामले में कैसे आगे बढ़ा जाए। उन्होंने कहा, जहां तक हमारा इस राज्य में संबंध है, हम हमेशा इस राज्य की सभी समस्याओं के शांतिपूर्ण समाधान के पक्ष में रहे हैं और हम उम्मीद करते हैं कि यही रास्ता है, जिसका अनुसरण करना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि इन हमलों के कारण वार्ता प्रक्रिया बाधित होती है तो यह उन बहादुर जवानों और नागरिकों के बलिदान के साथ अन्याय होगा, जिन्होंने अपनी शहादत दी।
उन्होंने कहा, उन्होंने अपनी शहादत इसलिए नहीं दी थी कि आतंकवादी अपने इरादों में कामयाब हो जाएं। उन्होंने शांति के लिए अपनी जिंदगी दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि पाकिस्तान को स्पष्ट शब्दों में बताए जाने की जरूरत है कि यदि इस प्रकार के हमले जारी रहते हैं तो चीजें सामान्य नहीं रह सकती।
उमर ने कहा, लेकिन यह संदेश हमें उन्हें आमने-सामने बैठकर देना है।
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