रियो पैरालिम्पिक्स में ऊंची कूद में भारत की ओर से स्वर्ण पदक जीतने वाले 22 साल के मरियप्पन थांगावेलू के लिए यह सफर आसान नहीं रहा है. वह एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं. तमिलनाडु के सालेम जिले से आने वाले मरियप्पन की परवरिश उनकी मां सरोजा सब्जियां बेचती हैं और उन्होंने अकेले ही अपने बच्चों की परवरिश की है. दिन के सौ रुपए कमाने वाली सरोजा अपने बेटे की जीत पर फूले नहीं समां रही हैं. वह कहती हैं 'उसे टीवी पर गोल्ड जीतते हुए देखकर बहुत खुशी हुई. वह बहुत ही शांत रहने वाला लड़का है और सबके साथ अच्छे से पेश आता है.'
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मरियप्पन और भाटी ने रचा इतिहास
भाटी ने पोलियो को दिखाया अंगूठा
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इससे पहले सरोजा दिहाड़ी मजदूर थीं और ईंट उठाने का काम करती थीं. वह कहती हैं 'जब मुझे छाती में दर्द की शिकायत हुई तो मरियप्पन ने किसी से पांच सौ रुपए उधार लिए और मुझसे कहा कि मैं सब्जियां बेचने का काम कर लूं.'
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