बीते जून माह में ओडिशा के बालासोर में सिग्नल की गड़बड़ी के कारण विनाशकारी ट्रिपल ट्रेन हादसा हुआ, रेल मंत्रालय ने पहली बार रेलवे सुरक्षा आयुक्त की रिपोर्ट के निष्कर्ष जारी करते हुए दुर्घटना के कारणों का खुलासा किया है. इस दुर्घटना में 293 से अधिक लोगों मौत हुईं और 1,000 से अधिक लोग घायल हुए. यह पिछले दो दशकों में भारत में हुईं सबसे भीषण रेल दुर्घटनाओं में से एक थी.
राज्यसभा में सांसद डॉ जॉन ब्रिटास द्वारा उठाए गए सवालों के जवाब में सामने आई रिपोर्ट में नॉर्थ सिग्नल गूमटी स्टेशन पर सिग्नलिंग सर्किट परिवर्तन और इलेक्ट्रिक लिफ्टिंग बैरियर के रिप्लेसमेंट के लिए सिग्नलिंग कार्य के निष्पादन के दौरान खामियों की ओर इशारा किया गया है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि, "टक्कर पूर्व में नॉर्थ सिग्नल गूमटी (स्टेशन के) पर किए गए सिग्नलिंग-सर्किट-परिवर्तन में खामियों के कारण हुई थी और लेवल के लिए इलेक्ट्रिक लिफ्टिंग बैरियर के रिप्लेसमेंट से संबंधित सिग्नलिंग कार्य के निष्पादन के दौरान हुई थी.“
रिपोर्ट में बताया गया है कि इन त्रुटियों के नतीजे में गलत लाइन के लिए हरा सिग्नल दिखाया गया जिससे ट्रेन एक खड़ी हुई मालगाड़ी से टकरा गई. मंत्री ने कहा कि ये मुद्दे रेलवे अधिकारियों की ओर से "घोर चूक और लापरवाही" को दर्शाते हैं.
सरकार ने यह भी बताया कि दुर्घटना के शिकार हुए 41 यात्रियों की अभी भी पहचान नहीं हो पाई है.
सांसद डॉ जॉन ब्रिटास के अनुरोध के बावजूद सरकार ने पिछले तीन वर्षों में इसी तरह की सिग्नल फेल होने घटनाओं का ब्योर नहीं दिया, केवल यह कहा कि विफलताएं सामने आई थीं, लेकिन ऐसी कोई विफलता नहीं थी जिसके कारण बालासोर जैसी गंभीर घटना हुई हो.
इस महीने की शुरुआत में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने दुर्घटना के संबंध में भारतीय रेलवे के तीन कर्मचारियों अरुण कुमार महंत, मोहम्मद अमीर खान और पप्पू कुमार को गिरफ्तार किया था. उन पर गैर इरादतन हत्या और सबूत नष्ट करने का आरोप लगाया गया है.
सीबीआई की रिमांड अवधि 15 जुलाई को समाप्त होने के बाद आरोपी फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं. अगली सुनवाई 27 जुलाई को तय की गई है.
सीआरएस रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस ने आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी सरकार ने रेलवे सुरक्षा के बुनियादी मुद्दों पर "पूरी तरह से समझौता" किया है और यह "मानवीय त्रुटि" प्रबंधन और राजनीतिक नेतृत्व की विफलता को उजागर करती है.
इस दुखद घटना के बाद दक्षिण पूर्व रेलवे की महाप्रबंधक अर्चना जोशी को उनके पद से हटा दिया गया और उनकी जगह अनिल कुमार मिश्रा को पदस्थ किया गया.
दुर्घटना में तीन ट्रेनें कोलकाता-चेन्नई कोरोमंडल एक्सप्रेस, बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस और एक मालगाड़ी शामिल थी.
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