उड़ीसा हाईकोर्ट ने गुरुवार को राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह नौ साल पहले क्योंझर जिले के एक स्कूल में दीवार गिरने के कारण सात साल की बच्ची की "परिहार्य" मौत के लिए उसके पिता को मुआवजे के रूप में 10 लाख रुपये दे. मुख्य न्यायाधीश एस मुरलीधर की अध्यक्षता वाली एक खंडपीठ ने कहा कि लड़की की मौत की जिम्मेदारी "निश्चित रूप से राज्य की है" क्योंकि स्कूल परिसर में रसोई बनाने के लिए दोषपूर्ण सामग्री के उपयोग में अधिकारियों की लापरवाही जांच के दौरान पहले ही साफ हो चुकी थी.
छात्रा रायमती सोरेन कटक से करीब 100 किलोमीटर दूर घासीपुरा प्रखंड के कोल्हाबेड़ा आश्रम स्कूल के छात्रावास में रहती थी. तीन अक्टूबर 2013 को एक नवनिर्मित किचन शेड की दीवार गिर गई और उस समय अपने दांतों को ब्रश कर रही छात्रा मलबे के नीचे दब गई जिससे उसकी मौत हो गई.
बाद में पूछताछ से पता चला कि दीवार का निर्माण बिना उचित नींव के अवैध रूप से किया गया था.
सोरेन के पिता की रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा कि अगर सभी सुरक्षा उपायों का सख्ती से पालन किया जाता तो मौत नहीं होती.
कोर्ट ने नौ पेज के अपने फैसले में कहा, "छोटी बच्ची की मौत पूरी तरह से अनावश्यक और परिहार्य थी. मौत की जिम्मेदारी निश्चित रूप से राज्य की है."
पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति आरके पटनायक भी शामिल थे, ने कहा कि राज्य द्वारा पहले ही सोरेन को दी गई राशि इसमें से घटा सकती है, लेकिन शेष राशि उन्हें आठ सप्ताह के भीतर दे दी जानी चाहिए.
याचिकाकर्ता को पहले 50,000 रुपये का मुआवजा दिया गया था. इसके अलावा जिला रेड क्रॉस सोसाइटी फंड से 10,000 रुपये दिए गए थे.
अदालत ने कहा कि यह मौत ओडिशा के स्कूलों में इसी तरह के कई उदाहरणों की तरह प्रतीत होती है.
अदालत ने जिला कलेक्टरों को बच्चों को घातक दुर्घटनाओं से बचाने के उपायों पर उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया.
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