जेएएम से नाराज चल रहे चंपाई सोरेन ने अपना रास्ता अलग कर लिया है. अब वे जनता का समर्थन जुटाने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं. राजनीति की दूसरी पारी में चंपई सोरेन सरायकेला पहुंचे. यहां इन्होंने अपनी शक्ति प्रदर्शन की. साथ ही साथ विरोधियों को कड़ा संदेश भी दिया. चंपाई सोरेन ने जनसभा में कहा कि पांच महीने मुख्यमंत्री की कुर्सी पर रहते हुए मैंने बेमिसाल काम कर दिखाए, जिसे लोग भूल नहीं सकते हैं.
सरकार से बगावत कर नया अध्याय लिखने की घोषणा करने के बाद चौथे दिन पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन शनिवार को सरायकेला पहुंचे. जहां सरायकेला की जनता ने पूर्व मुख्यमंत्री का गर्मजोशी से स्वागत करते हुए अपना पूर्ण समर्थन देने का भरोसा दिलाया. हालांकि लगातर चार दिनों से उनके अगले राजनीतिक कदम को लेकर चल रहा सस्पेंस आज भी बरकार रहा. सरायकेला में जनता का अपार समर्थन देख पूर्व मुख्यमंत्री ने साफ कर दिया कि बहुत जल्द इसकी घोषणा करूंगा.
मुझे बेइज्जत कर कुर्सी से उतारा गया
चंपाई सोरेन ने जनता को संबोधित करते हुए कहा कि मेरे काम शायद पार्टी चीफ को पसंद नहीं आया, इसलिए बेइज्जत कर मुझे कुर्सी से उतार दिया. लेकिन अब जनता के समर्थन से दोबारा मजबूत राजनीति करनी है. मैं अपना रास्ता अलग बनाऊंगा.
टाटा नहीं रोक पाई तो राजनीतिक विरोधी क्या रोकेंगे?
चंपाई सोरेन ने कहा कि 40 साल पहले जब विधायक नहीं था, तब टाटा कंपनी के खिलाफ जोरदार आंदोलन कर सबसे बड़े औद्योगिक घराने की ईंट से ईंट बजा दी थी, तब कंपनी ने 50 लाख रुपये में मेरी हत्या का सौदा किया था, लेकिन मैं उनसे डरा नहीं और लड़कर हजारों मजदूरों को स्थाई नौकरी दिलाई. उन्होंने कहा, जब टाटा जैसी बड़ी कंपनी नहीं रोक पाई तो मेरे राजनीतिक विरोधी क्या रोकेंगे?
जनता से चंपाई ने मांगा समर्थन
चंपाई सोरेन ने जनता को संबोधित करते हुए कहा कि अब इतिहास रचने आया हूं. मंच से उन्होंने जनता का समर्थन मांगा. इस दौरान सभा में उपस्थित लोगों ने एक सुर में वीर तुम आगे बढ़ो-हम तुम्हारे साथ हैं के नारे लगाए.
पूर्व मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में अपने दिल का हाल बयां किया. उन्होंने कहा कि जिस संगठन को अपने खून पसीने से सींचा, उस पार्टी ने वो सम्मान नहीं दिया. इसलिए अब नया इतिहास लिखने निकला हूं.
उन्होंने जनता से कहा, आपका समर्थन देख ऐसा लगने लगा है कि नया विकल्प के सस्पेंस पर अब विराम लगने का वक्त आ गया है. हमने टाटा जैसी कंपनी से लोहा लिया. जादूगोड़ा माइंस को लेकर यहां के आदिवासी- मूलवासियों के हक की लड़ाई लड़ी. अलग झारखंड राज्य के लिए महीनों परिवार की चिंता छोड़ दिशोम गुरु शिबू सोरेन के साथ जंगल- जंगल भटकता रहा. मेरे बच्चे कैसे बड़े हुए मैंने नहीं देखा. झारखंड अलग राज्य मिलने के 24 साल बाद अब नया अध्याय लिखने की घोषणा की है.
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