आंध्र प्रदेश का बंटवारा कर अलग तेलंगाना राज्य के गठन से जुड़े विवादास्पद विधेयक पर संसद के निचले सदन में चर्चा और इसे पारित करने की डेढ़ घंटे तक चली प्रक्रिया का सीधा प्रसारण नहीं होने को लोकसभा टीवी ने 'तकनीकी खामी' करार दिया है। वहीं बीजेपी नेता का कहना है कि यह 'तकनीकी' नहीं 'रणनीतिक खामी' थी।
लोकसभा में मंगलवार शाम तीन बजे इस विधेयक पर गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे द्वारा चर्चा शुरू किए जाने के साथ ही लोकसभा टीवी से होने वाला सीधा प्रसारण अचानक रुक गया।
लोकसभा टीवी सदन की सारी कार्यवाहियों का सीधा प्रसारण करता है। लेकिन तेलंगाना विधेयक को पारित कराने की चली डेढ़ घंटे की प्रक्रिया तक उसका प्रसारण 'सदन स्थगित' दर्शा रहा था, जबकि सदन चल रहा था।
कुछ समय बाद 'सदन स्थगित' की जगह 'लोकसभा से सीधा प्रसारण कुछ ही देर में शुरू होगा' दर्शाया जाने लगा। लेकिन विधेयक पारित होकर सदन दिन भर के स्थगित भी हो गया और सीधा प्रसारण शुरू ही नहीं हुआ।
लोकसभा टीवी के सीईओ राजीव मिश्र ने कहा कि कुछ तकनीकी गड़बड़ी के चलते ऐसा हुआ। उन्होंने कहा कि यह गड़बड़ी पैदा होने पर तकनीकी स्टाफ की आपात बैठक बुलाई गई और इस बारे में बुधवार को रिपोर्ट आएगी कि किस कारण से सीधा प्रसारण रुका।
भाजपा नेता सुषमा स्वराज ने हालांकि इस तर्क को अस्वीकार करते हुए कहा कि यह 'तकनीकी गड़बड़ी' नहीं बल्कि 'रणनीतिक गड़बड़ी' थी।
इसके अलावा बीजेपी के अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने कहा, 'सरकार द्वारा इस बिल को जिस तरह सदन से पारित किया गया, वह पारदर्शी नहीं और पूरी तरह से अलोकतांत्रिक है।'
वहीं तेलंगाना विधेयक पारित होने के बाद अपनी टिप्पणी में लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने एनडीटीवी से कहा कि यहां कुछ समस्याएं आ गई थी, जिसकी वजह से हम सीधा प्रसारण नहीं कर सके। वहीं उनकी मौजूदगी में उनके एक सहायक ने इसे समझाते हुए कहा कि यह समस्या 'तकनीकी' थी।
साल 1996 में संसद की कार्यवाही का सीधा प्रसारण टीवी पर शुरू होने के बाद से यह पहला मौका था, जब लोग सदन की कार्यवाही नहीं देख सके। इस कदम से गुस्साए कई सांसदों ने इसकी तुलना 1970 के दशक में आपातकाल के दौरान लगी सेंसरशिप से की है।
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