
पूर्वोत्तर भारत में भीषण बाढ़ और भूस्खलन ने तबाही मचा रखी है. बीते 29 मई से अब तक 6 राज्यों में फ्लड और लैंडस्लाइड की चपेट में आकर कम से कम 40 लोगों की मौत हो चुकी है. लाखों लोग अभी भी बाढ़ के पानी से जूझ रहे हैं. सबसे ज्यादा असर असम, मेघालय, मणिपुर, त्रिपुरा, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में देखा जा रहा है.
असम में 5 लाख से अधिक लोग बाढ़ से प्रभावित
असम में 22 जिलों के पांच लाख से ज्यादा लोग अभी भी बाढ़ से प्रभावित हैं. वहीं मणिपुर में 19,811 लोग बाढ़ की चपेट में हैं, जहां 3,365 घर तबाह हो चुके हैं और 47 स्थानों पर भूस्खलन की घटनाएं हुई हैं. भारतीय सेना ने मणिपुर में एक हजार से अधिक लोगों को बचाया है. सिक्किम में भी हालात गंभीर बने हुए हैं जहां भूस्खलन में 3 लोगों की मौत हो गई है जबकि 6 सुरक्षा कर्मी लापता हैं. यहां राहत-बचाव कार्य जारी है. हालांकि त्रिपुरा में स्थिति थोड़ी बेहतर हुई है लेकिन अभी भी 10,000 लोग राहत शिविरों में शरण लिए हुए हैं.

असम और मेघालय के मुख्यमंत्रियों के बीच हुई बैठक
इस बीच असम और मेघालय के मुख्यमंत्रियों ने मंगलवार शाम को एक महत्वपूर्ण बैठक कर गुवाहाटी में शहरी बाढ़ की समस्या का स्थायी समाधान निकालने पर सहमति जताई. बैठक के बाद असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि हमने विस्तृत प्रेजेंटेशन के माध्यम से दिखाया कि किस तरह मेघालय से पानी गुवाहाटी में आ रहा है. हम मिलकर इस समस्या का समाधान खोजेंगे. इसके लिए नॉर्थ ईस्टर्न स्पेस एप्लीकेशन सेंटर (NESAC) से पूरे क्षेत्र की सैटेलाइट मैपिंग कराई जाएगी और फिर IIT रुड़की के विशेषज्ञों से समाधान सुझाने का अनुरोध किया जाएगा.

मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा ने भी कहा कि असम की समस्या को हम समझते हैं, लेकिन हमारे यहां पहाड़ी इलाकों में आर्थिक गतिविधियों के कारण भी चुनौतियां हैं. हम मिलकर समाधान निकालने के लिए प्रतिबद्ध हैं जिससे दोनों राज्यों को फायदा हो.

बता दें कि गुवाहाटी के जुराबात इलाके में पहाड़ काटने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में असम और मेघालय सरकार को नोटिस जारी किया है. इसी मुद्दे को लेकर बैठक में विस्तृत चर्चा हुई. दोनों मुख्यमंत्री इस संवेदनशील मुद्दे पर आपसी सहयोग से समाधान निकालने पर सहमत हुए हैं.
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