जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की.
नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भरोसा जताया कि अगले दो-तीन महीनों में हालात सुधरेंगे. उन्होंने कहा कि गोलीबारी और पत्थरबाजी नहीं चल सकती. हर हाल में बातचीत का रास्ता निकालना होगा. वाजपेयी की कश्मीर नीति को बढ़ाना होगा.
महबूबा मुफ्ती ने मीटिंग के बाद प्रधानमंत्री निवास के बाहर कहा कि "कश्मीर की समस्या का हल बातचीत से ही निकलेगा." वैसे घाटी के बिगड़ते हालात और राज्य सरकार के अंदरूनी टकराव के बीच प्रधानमंत्री के साथ मुलाकात से महबूबा मुफ्ती को कुछ तसल्ली और राहत जरूर मिली.
मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने वाजपेयी की कश्मीर नीति को आगे बढ़ाने की वकालत की. उन्होंने कहा कि "वाजपेयी वाली नीति से कश्मीर की समस्या का हल बातचीत से ही निकलेगा. पहले हालात सुधारेंगे फिर बातचीत करेंगे."
जब यह मुलाकात चल रही थी तब नॉर्थ ब्लॉक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार गृह मंत्री राजनाथ सिंह को बता रहे थे कि बीते छह महीने में घाटी में हिंसा बढ़ी है. मंत्रालय के मुताबिक अक्टूबर 2016 से मार्च 2017 के बीच पथराव की 411 घटनाएं हुई हैं और 155 आतंकी वारदातें हुईं.
प्रधानमंत्री से मिलने के बाद महबूबा राजनाथ से भी मिलने पहुंचीं. इस बैठक में बीजेपी की ओर से कश्मीर मामलों के प्रभारी राम माधव भी शामिल हुए. सबने कहा, हालात सुधरेंगे. महबूबा ने कहा कि "हमें आपके सहयोग की भी जरूरत है. अगले दो से तीन महीने में हालात सुधरेंगे." राम माधव ने कहा कि "कोई भेदभाव नहीं है मुख्यमंत्री कोशिश कर रही हैं."
इस बीच घाटी में सोशल मीडिया और इंटरनेट के दुरुपयोग का मसला भी उठा. नेशनल कॉन्फ्रेंस ने इस पर बैन को माहौल खराब करने वाला करार दिया. जबकि कांग्रेस ने पीडीपी-बीजेपी गठजोड़ को कश्मीर की अशांति का जिम्मेदार बताया. नेशनल कॉन्फ्रेंस ने नेता फारुक अब्दुल्ला का कहना है कि "सब कुछ बंद करने से क्या होगा, हालात ज्यादा खराब होंगे." कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि "जब तक पीडीपी-भाजपा की सरकार है, घाटी में हालात सुधरेंगे नहीं."
महबूबा मुफ्ती ने मीटिंग के बाद प्रधानमंत्री निवास के बाहर कहा कि "कश्मीर की समस्या का हल बातचीत से ही निकलेगा." वैसे घाटी के बिगड़ते हालात और राज्य सरकार के अंदरूनी टकराव के बीच प्रधानमंत्री के साथ मुलाकात से महबूबा मुफ्ती को कुछ तसल्ली और राहत जरूर मिली.
मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने वाजपेयी की कश्मीर नीति को आगे बढ़ाने की वकालत की. उन्होंने कहा कि "वाजपेयी वाली नीति से कश्मीर की समस्या का हल बातचीत से ही निकलेगा. पहले हालात सुधारेंगे फिर बातचीत करेंगे."
जब यह मुलाकात चल रही थी तब नॉर्थ ब्लॉक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार गृह मंत्री राजनाथ सिंह को बता रहे थे कि बीते छह महीने में घाटी में हिंसा बढ़ी है. मंत्रालय के मुताबिक अक्टूबर 2016 से मार्च 2017 के बीच पथराव की 411 घटनाएं हुई हैं और 155 आतंकी वारदातें हुईं.
प्रधानमंत्री से मिलने के बाद महबूबा राजनाथ से भी मिलने पहुंचीं. इस बैठक में बीजेपी की ओर से कश्मीर मामलों के प्रभारी राम माधव भी शामिल हुए. सबने कहा, हालात सुधरेंगे. महबूबा ने कहा कि "हमें आपके सहयोग की भी जरूरत है. अगले दो से तीन महीने में हालात सुधरेंगे." राम माधव ने कहा कि "कोई भेदभाव नहीं है मुख्यमंत्री कोशिश कर रही हैं."
इस बीच घाटी में सोशल मीडिया और इंटरनेट के दुरुपयोग का मसला भी उठा. नेशनल कॉन्फ्रेंस ने इस पर बैन को माहौल खराब करने वाला करार दिया. जबकि कांग्रेस ने पीडीपी-बीजेपी गठजोड़ को कश्मीर की अशांति का जिम्मेदार बताया. नेशनल कॉन्फ्रेंस ने नेता फारुक अब्दुल्ला का कहना है कि "सब कुछ बंद करने से क्या होगा, हालात ज्यादा खराब होंगे." कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि "जब तक पीडीपी-भाजपा की सरकार है, घाटी में हालात सुधरेंगे नहीं."
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