- ग्रेटर नोएडा के दादरी में 2015 में हुई मोहम्मद अखलाक की मॉब लिंचिंग का मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट पहुंचा
- मोहम्मद अखलाक की हत्या के आरोप में पुलिस ने 18 आरोपियों को गिरफ्तार किया था, जिनमें तीन नाबालिग शामिल थे
- यूपी सरकार ने ट्रायल कोर्ट में आरोपियों के खिलाफ केस वापस लेने के लिए आवेदन दाखिल किया है, जो विवाद का विषय है
ग्रेटर नोएडा के दादरी में साल 2015 में हुई मॉब लिंचिंग का मामला अब इलाहाबाद हाई कोर्ट पहुंच गया है. दादरी क्षेत्र के बिसाहड़ा गांव के रहने वाले मोहम्मद अखलाक की मॉब लिंचिंग में मौत हुई थी. इस मुकदमे के यूपी सरकार द्वारा वापस लेने के आवेदन के खिलाफ मृतक अखलाक की पत्नी ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की है. याचिका पर इलाहाबाद हाई कोर्ट की डबल बेंच में 5 जनवरी 2026 के बाद सुनवाई होने की उम्मीद है. ग्रेटर नोएडा के दादरी क्षेत्र के बिसाहड़ा गांव में 52 वर्षीय मोहम्मद अखलाक की 28 सितंबर 2015 को भीड़ ने इस संदेह में पीट-पीटकर हत्या कर दी थी कि उन्होंने अपने घर में गोमांस रखा है.
18 आरोपियों को पुलिस ने किया था गिरफ्तार
अखलाक की हत्या के मामले में पुलिस ने आईपीसी में हत्या की धारा समेत कई धाराओं में मामला दर्ज किया था. 18 आरोपियों को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया था, जिसमें तीन नाबालिग भी शामिल थे. एक अन्य आरोपी की 2016 में मौत हो गई थी. बाकी 14 सभी आरोपी इस समय जमानत पर बाहर हैं. नोएडा के ट्रायल कोर्ट में मुकदमा चल रहा है. अब इस मामले में यूपी सरकार की तरफ से ट्रायल कोर्ट में आरोपियों के खिलाफ केस वापस लेने के लिए आवेदन दाखिल किया गया है. केस वापसी के लिए एडीजीसी क्राइम की तरफ से ट्रायल कोर्ट में सीआरपीसी की धारा 321 में ये आवेदन दिया गया है.
इलाहाबाद हाई कोर्ट में क्रिमिनल रिट याचिका भी दाखिल
यूपी सरकार द्वारा इस मॉब लिंचिंग मामले में केस वापसी लिए जाने के खिलाफ मोहम्मद अखलाक के परिवार ने फास्ट ट्रैक कोर्ट में चुनौती देते हुए आपत्ति दायर की है, जिसे स्वीकार कर लिया गया है. इस पर 23 दिसंबर को एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज सौरभ द्विवेदी की अध्यक्षता वाली कोर्ट सुनवाई करेगी. यही नहीं यूपी सरकार के केस वापसी लेने वाले फैसले को इलाहाबाद हाई कोर्ट में भी चुनौती दी गई है. 18 दिसंबर को लिंचिंग में मारे गए मोहम्मद अखलाक की पत्नी इकरामन ने सरकार के इस फैसले के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया है. याचिकाकर्ता इकरामन ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में क्रिमिनल रिट याचिका दाखिल है. ये याचिका अधिवक्ता उमर ज़ामिन के माध्यम से दायर की गई है. इलाहाबाद हाई कोर्ट में दाखिल याचिका में अधिवक्ता उमर जामिन ने मार्टिन लूथर किंग जूनियर की टिप्पणी का हवाला दिया है- कहीं भी अन्याय हर जगह न्याय के लिए खतरा है.'
याचिका में हाई कोर्ट से मांग की गई है कि कोर्ट 26 अगस्त 2025 को यूपी सरकार के विशेष सचिव मुकेश कुमार के सरकारी आदेश संख्या 225WC/7-न्याय-5-2025-70 WC/2025 को रद्द करें. इसके अलावा 10 सितंबर 2025 को प्रशासनिक आदेश के माध्यम से जो अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट (प्रशासन), गौतम बुद्ध नगर द्वारा संयुक्त निदेशक अभियोजन, गौतम बुद्धनगर को संबोधित किया गया है.
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