केंद्रीय कैबिनेट ने आज फैसला किया कि दिल्ली में किसी भी सरकारी बंगले को अब किसी के स्मारक में तब्दील नहीं किया जाएगा।
कैबिनेट ने यह फैसला ऐसे समय में किया जब कुछ ही हफ्ते पहले राष्ट्रीय लोक दल प्रमुख अजित सिंह ने मांग की थी कि उनके आधिकारिक आवास को उनके पिता एवं पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का स्मारक बना दिया जाए।
एक अहम कदम उठाते हुए कैबिनेट ने फैसला किया कि सरकार सिर्फ महात्मा गांधी की जन्म-तिथि एवं पुण्य-तिथि से ही खुद को जोड़ेगी और अन्य दिवंगत नेताओं की जन्म-तिथि एवं पुण्य-तिथि संबंधित ट्रस्ट, पार्टी, सोसाइटी या समर्थक मनाएंगे।
केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कैबिनेट की बैठक के बाद संवाददाताओं को बताया, 'स्मारकों के लिए बंगलों के आवंटन और हमारे दिवंगत राष्ट्रीय नेताओं की समाधियों के प्रबंधन के बाबत फैसला किया गया है कि अब से किसी भी बंगले को किसी भी व्यक्ति के स्मारक के लिए उपलब्ध नहीं कराया जाएगा।'
कैबिनेट ने ऐसे समय में यह फैसला किया है जब पिछले महीने अजित सिंह ने 12, तुगलक रोड स्थित अपना बंगला खाली कराने का विरोध किया था जिससे विवाद पैदा हो गया था। सिंह की मांग थी कि केंद्रीय मंत्री पद पर रहते हुए उन्हें आवंटित इस सरकारी बंगले को उनके पिता का स्मारक बना दिया जाए।
इस साल की शुरुआत में तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार के आधिकारिक आवास को उनके पिता एवं उप-प्रधानमंत्री बाबू जगजीवन राम की याद में स्मारक में तब्दील करने के फैसले पर विवाद हो गया था।
लोकसभा चुनावों से ठीक पहले तत्कालीन कैबिनेट ने स्मारक को 25 साल के लिए अनुमति देने का फैसला किया था। साल 2000 में राजग सरकार के कैबिनेट फैसले के खिलाफ जाकर यह निर्णय किया गया था। उस वक्त राजग सरकार ने कहा था कि किसी भी सरकारी बंगले को स्मारक में तब्दील करने की इजाजत नहीं दी जाएगी।
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