बिहार विधानसभा (Bihar Assembly) ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि नवगठित सरकार के 12 फरवरी को विश्वास मत हासिल करने से पहले अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी को सत्तारूढ़ राजग द्वारा लाये गये अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना होगा. विधानसभा सचिवालय ने सोमवार से शुरू होने वाले बजट सत्र के पहले दिन के लिए सदन के कामकाज का एजेंडा जारी किया, जिसमें राज्यपाल विधानमंडल के दोनों सदनों के सदस्यों को पारंपरिक रूप से संबोधित करेंगे. असामान्य रूप से समय से पहले जारी किए गए एजेंडे के अनुसार, राज्यपाल का अभिभाषण विधानसभा अध्यक्ष के प्रारंभिक संबोधन से पहले होगा.
राज्यपाल के अभिभाषण के तुरंत बाद, विधानसभा अध्यक्ष को हटाने का प्रस्ताव पेश किया जाएगा, जिसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सरकार के लिए विश्वास मत हासिल करेंगे.
दरअसल, चौधरी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) से संबंध रखते हैं, जो नीतीश कुमार के महागठबंधन से अलग होकर भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के साथ सरकार बनाने के कारण सत्ता से बाहर हो चुकी है.
चौधरी का अध्यक्ष पद छोड़ने से इनकार
दो सप्ताह पहले राजग सरकार बनने के तुरंत बाद, सत्तारूढ़ गठबंधन ने चौधरी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था. चौधरी ने अध्यक्ष पद छोड़ने से इनकार कर दिया है, जिससे राजग खेमे में घबराहट पैदा हो गई है. राजग के पास मामूली बहुमत है और वह विपक्षी दल के नेता की अध्यक्षता में होने वाले विश्वास मत को लेकर सावधान है.
राजग के पास 128 विधायक
राजग में एक निर्दलीय और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के चार विधायक शामिल हैं. 243 सदस्यीय विधानसभा में राजग के विधायकों की संख्या 128 है. राजद, कांग्रेस और तीन वामपंथी दलों के महागठबंधन के पास 114 विधायक हैं. महागठबंधन के पास बहुमत हासिल करने के लिए आठ विधायक कम हैं.
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