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This Article is From Apr 13, 2015

ग्राउंड रिपोर्ट : गाज़ियाबाद के बदहाल किसानों को मुट्ठी भर मुआवज़ा भी नहीं

गाज़ियाबाद:

यूपी सरकार जल्दी और ज़्यादा मुआवज़ा देने का दावा कर रही है। लेकिन राज्य के कुछ हिस्सों में ज़मीनी हकीकत कुछ और सच्चाई बयां कर रही है। गाज़ियाबाद की मोदीनगर तहसील में ऐसे सैकड़ों किसान हैं जिनकी फसलें ओलों और भारी बारिश की वजह तबाह हो गयीं लेकिन उन्हें अभी तक मुआवज़ा नहीं मिला है। वो अब तक सरकारी अमले का इंतज़ार ही कर रहे हैं।

एनडीटीवी की टीम जब मोदीनगर के औरंगाबाद गदाना गांव में गेहूं की किसान संसारवति के खेत पर पहुंची तो ओलों और भारी बारिश का कहर साफ दिखाई दे रहा था। संसारवति कहती हैं, 'पिछले दो महीनों से ज़िला प्रशासन से मुआवज़े की गुहार लगा रही हैं लेकिन अब तक प्रशासन की तरफ से नुकसान का आकलन करने भी कोई नहीं आया।' उन्होंने एनडीटीवी से कहा, 'मेरी 70 से 90 फीसदी गेहूं की फसल बर्बाद हो चुकी है। मैंने 10 बीघा खेत पर गेहूं बोया था...औसतन 30-40 क्विंटल तक गेहूं पैदा होने की उम्मीद थी लेकिन ओलों ने सबकुछ बर्बाद कर दिया। प्रशासन की तरफ से अब तक कुछ भी मुआवज़ा नहीं मिला है।'

इस इलाके में पांच दशक से खेती कर रहे गेहूं के किसान हरिंदर नेहरा कहते हैं, मार्च-अप्रैल में इतनी बारिश और ओले पहले कभी नहीं गिरे।' हरिंदर सिंह नेहरा दूसरे प्रभावित किसानों के साथ मिलकर ज़िला प्रशासन से तीन बार मदद की गुहार लगा चुके हैं लेकिन प्रशासन ने अब तक उनकी मदद के लिए कोई पहल नहीं की है।

पास के भोजपुर गांव के किसान ईश्वर सिंह दहिया कहते हैं कि राज्य सरकार गाज़ियाबाद के किसानों के साथ सौतेला व्यव्हार कर रही है। उनका आरोप है कि शुरुआत में गाज़ियाबाद को प्रभावित ज़िलों की सूची में शामिल नहीं किया गया जिसकी वजह से उन्हें आज भटकना पड़ रहा है।

दरअसल उत्तर प्रदेश में गेहूं किसानों के संकट का दायरा काफी बड़ा है। राज्य में 10.58 लाख हेक्टेयर ज़मीन पर गेहूं की फसल अब तक प्रभावित हो चुकी है। यानी लाखों किसान प्रभावित हुए हैं। देखना महत्वपूर्ण होगा कि राज्य सरकार कब तक सभी प्रभावित किसानों तक मुआवज़ा पहुंचाने में कामयाब हो पाती है।

उधर एनडीटीवी इंडिया के न्यूज प्वाइंट शो में मोदी नगर के किसानों की बदहाली पर प्रतिक्रिया देते हुए समाजवादी पार्टी के नेता गौरव भाटिया ने कहा है कि उनकी पार्टी ये सुनिश्चित करेगी कि गाज़ियाबाद को भी उत्तर प्रदेश के प्रभावित इलाकों की सूची में शामिल किया जाए।

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