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This Article is From Sep 08, 2014

देर रात दिए आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने सुरेंद्र कोली की फांसी की सजा पर रोक लगाई

देर रात दिए आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने सुरेंद्र कोली की फांसी की सजा पर रोक लगाई
फाइल फोटो
नई दिल्ली:

निठारी नरसंहार मामले के दोषी सुरिंदर कोली को सुनाई गई मौत की सजा की तामील पर उच्चतम न्यायालय ने देर रात एक आदेश जारी कर रोक लगा दी है। न्यायमूर्ति एच एल दत्तू और ए आर दवे की पीठ ने कोली की मौत की सजा की तामील पर एक सप्ताह के लिए रोक लगा दी।

उच्चतम न्यायालय के एक अधिकारी ने बताया कि इस संबंध में पीठ के समक्ष मध्य रात्रि के बाद एक अपील पेश की गयी और देर रात एक बज कर करीब 40 मिनट पर आदेश जारी किया गया। अधिकारी ने बताया कि आदेश के बारे में संबद्ध जेल प्राधिकारियों को बता दिया गया है।

उल्लेखनीय है कि निठारी कांड में फांसी की सजा पाने वाले सुरेंदर कोली को सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले ने एक और मौका दे दिया थी। कहा जा रहा था कि एक तरफ 12 सितंबर को उसे फांसी देने की तैयारी हो रही है, तो वहीं कोली फिर सुप्रीम कोर्ट में सजा पर रोक लगाकर पुनर्विचार करने की याचिका दायर कर सकता है।

गौरतलब है कि पिछले मंगलवार को ही सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा था कि फांसी की सजा पाने वालों की पुनर्विचार याचिका की सुनवाई खुली अदालत में होगी और दोषी को अपना पक्ष रखने के लिए आधा घंटे का वक्त दिया जाएगा।

पीठ ने ये भी कहा कि जिन लोगों की पुनर्विचार याचिका खारिज हो चुकी है, वो एक महीने के भीतर फिर याचिका दायर कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट 24 जुलाई को देरी के आधार पर कोली की पुनर्विचार याचिका खारिज कर चुका है।

निठारी सीरियल हत्याकांड के दोषी और 14-वर्षीय बच्ची की नृशंस हत्या के मामले में मौत की सजा पाए सुरिंदर कोली को 12 सितंबर को मेरठ जेल में फांसी दी जानी थी। जेल अधीक्षक एसएचएम रिजवी ने गुरुवार रात यह जानकारी दी थी।

रिजवी ने बताया था कि कोली को 12 सितंबर को फांसी पर लटकाया जाएगा। गाजियाबाद के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अतुल कुमार गुप्ता ने 42-वर्षीय कोली के नाम बुधवार को वारंट जारी किया कि इस मामले में दोषी के लिए सभी कानूनी उपाय समाप्त होने के बाद उसे फांसी पर लटका दिया जाना चाहिए।

गाजियाबाद की एक जेल में बंद कोली को रिम्पा हाल्दार की हत्या तथा चार अन्य मामलों में मौत की सजा दी गई थी। नई एनडीए सरकार बनने के बाद फांसी की सजा का यह पहला मामला होगा।

केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह मंत्री के रूप में पदभार संभालने के केवल महीने भर के भीतर ही राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से सिफारिश कर चुके थे कि कोली की दया याचिका को अस्वीकार किया जाए। राष्ट्रपति ने 27 जुलाई को दया याचिका खारिज कर दी थी, जिससे कोली को फांसी पर लटकाए जाने की न्यायिक प्रक्रिया को शुरू करने का रास्ता साफ हो गया था।

कोली के खिलाफ हत्या के 11 मामले लंबित हैं। सीबीआई ने उसके खिलाफ 16 मामलों में आरोपपत्र दाखिल किया था, जिनमें उसने यौन प्रताड़ना के बाद बच्चों की हत्या कर दी थी। रिम्पा हाल्दार मामला दिसंबर, 2006 में सामने आया था। इस मामले की जांच करते हुए टीम बच्चों की नृशंस तरीके से हत्याओं के और कई मामलों तक पहुंच गई और एक घर के समीप बहते नाले से बच्चों के कंकाल बरामद किए गए। उत्तर प्रदेश के नोएडा में निठारी इलाके में कोली इसी घर में नौकर के तौर पर काम करता था।

कोली को निचली अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी, जिसे इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बरकरार रखा और उच्चतम न्यायालय ने 15 फरवरी, 2011 को रिम्पा हाल्दार मामले में इस सजा की पुष्टि की। कोली को सीरियल किलर बताते हुए अदालत ने कहा था, उस पर कोई दया नहीं दिखाई जानी चाहिए। 16 मामलों में से कोली को अभी तक पांच में मौत की सजा सुनाई गई है और बाकी मामलों में सुनवाई चल ही रही है।

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