निर्भया केस के नाबालिग दोषी की फाइल फोटो
बदायूं:
'निर्भया' के साथ दरिंदगी के आरोप में तीन साल की सजा भुगतने के बाद रविवार को रिहा हो रहे किशोर की सजा बढ़ाने की पुरजोर मांगों के बीच बदायूं स्थित उसके गांव में एक पक्ष उसे गांव में दाखिल होने का विरोध करने की तैयारी में है, तो वहीं कई लोग उसे दूसरा मौका देने के पक्ष में है।
कई लोग नहीं चाहते अपने गांव लौटे निर्भया का दोषी
16 दिसंबर, 2012 में दिल्ली में एक चलती बस में मेडिकल की एक छात्रा से सामूहिक बलात्कार जैसे देश को झकझोर देने वाले कांड के नाबालिग आरोपी का पैतृक गांव बदायूं जिले में पड़ता है और वहां कई लोग नहीं चाहते कि निर्भया का दोषी अब कभी अपने गांव लौटे। गांव के बुजुर्ग फूलचंद्र का कहना है कि निर्भया कांड के दोषी उस लड़के ने इतना घिनौना काम किया है कि उसे अब इस गांव में रहने का कोई अधिकार नहीं है। उस वारदात के बाद देश-विदेश में गांव की बहुत बदनामी हुई है।
दोषी की मां की ख्वाहिश सीधा गांव ही आए उसका बेटा
हालांकि वारदात के वक्त नाबालिग होने की वजह से मात्र तीन साल की सजा पाए निर्भया के साथ दरिंदगी के दोषी लड़के के परिजन और कुछ दूसरे लोग उसके गांव वापस लौटकर सुधरने और उसे नई जिंदगी शुरू करने का एक मौका देने की हिमायत भी कर रहे हैं। उसकी मां का कहना है कि परिवार का कोई भी सदस्य उसे लेने के लिए दिल्ली नहीं जाएगा, लेकिन उनकी दिली ख्वाहिश है कि उनका बेटा बाल सुधार गृह से छूटकर सीधा अपने गांव वापस आए और बेहद गरीबी में जी रहे अपने परिवार की मदद करे। उसने बताया कि उसका पति मंदबुद्धि है और परिवार का भरण-पोषण दो जवान बेटियों की मेहनत-मजदूरी से होता है। ऐसे में परिवार को अपने बेटे की सख्त जरूरत है।
दूसरा मौका देने के पक्ष में भी कई लोग
गांव के ही हाजी तौसीफ रजा समेत कई लोगों का कहना है कि जिंदगी का इतना बड़ा सबक सीखने और ताजिंदगी दाग का दंश देने वाली सजा भुगतने के बाद लड़के को नया जीवन शुरू करने का एक और मौका तो मिलना ही चाहिए। गांव के लोग उसे अपने पैरों पर खड़े होने में पूरी मदद करेंगे ताकि वह दोबारा अपराध के दलदल में ना फंसे।
गौरतलब है कि 16 दिसंबर 2012 को दिल्ली के वसंत विहार इलाके में चलती बस में मेडिकल की एक छात्रा से हुई सामूहिक बलात्कार की वारदात ने पूरे देश और दुनिया को हिला दिया था। उस वारदात में गंभीर रूप से घायल उस लड़की की बाद में इलाज के दौरान मौत हो गई थी। उसका एक नाबालिग दोषी उसे मिली तीन साल की सजा भुगतने के बाद रविवार को रिहा हो रहा है। दिल्ली हाईकोर्ट में उसकी रिहाई पर रोक लगाने के अनुरोध को ठुकरा दिया था। इसके साथ ही उसकी रिहाई का रास्ता साफ हो गया है।
कई लोग नहीं चाहते अपने गांव लौटे निर्भया का दोषी
16 दिसंबर, 2012 में दिल्ली में एक चलती बस में मेडिकल की एक छात्रा से सामूहिक बलात्कार जैसे देश को झकझोर देने वाले कांड के नाबालिग आरोपी का पैतृक गांव बदायूं जिले में पड़ता है और वहां कई लोग नहीं चाहते कि निर्भया का दोषी अब कभी अपने गांव लौटे। गांव के बुजुर्ग फूलचंद्र का कहना है कि निर्भया कांड के दोषी उस लड़के ने इतना घिनौना काम किया है कि उसे अब इस गांव में रहने का कोई अधिकार नहीं है। उस वारदात के बाद देश-विदेश में गांव की बहुत बदनामी हुई है।
दोषी की मां की ख्वाहिश सीधा गांव ही आए उसका बेटा
हालांकि वारदात के वक्त नाबालिग होने की वजह से मात्र तीन साल की सजा पाए निर्भया के साथ दरिंदगी के दोषी लड़के के परिजन और कुछ दूसरे लोग उसके गांव वापस लौटकर सुधरने और उसे नई जिंदगी शुरू करने का एक मौका देने की हिमायत भी कर रहे हैं। उसकी मां का कहना है कि परिवार का कोई भी सदस्य उसे लेने के लिए दिल्ली नहीं जाएगा, लेकिन उनकी दिली ख्वाहिश है कि उनका बेटा बाल सुधार गृह से छूटकर सीधा अपने गांव वापस आए और बेहद गरीबी में जी रहे अपने परिवार की मदद करे। उसने बताया कि उसका पति मंदबुद्धि है और परिवार का भरण-पोषण दो जवान बेटियों की मेहनत-मजदूरी से होता है। ऐसे में परिवार को अपने बेटे की सख्त जरूरत है।
दूसरा मौका देने के पक्ष में भी कई लोग
गांव के ही हाजी तौसीफ रजा समेत कई लोगों का कहना है कि जिंदगी का इतना बड़ा सबक सीखने और ताजिंदगी दाग का दंश देने वाली सजा भुगतने के बाद लड़के को नया जीवन शुरू करने का एक और मौका तो मिलना ही चाहिए। गांव के लोग उसे अपने पैरों पर खड़े होने में पूरी मदद करेंगे ताकि वह दोबारा अपराध के दलदल में ना फंसे।
गौरतलब है कि 16 दिसंबर 2012 को दिल्ली के वसंत विहार इलाके में चलती बस में मेडिकल की एक छात्रा से हुई सामूहिक बलात्कार की वारदात ने पूरे देश और दुनिया को हिला दिया था। उस वारदात में गंभीर रूप से घायल उस लड़की की बाद में इलाज के दौरान मौत हो गई थी। उसका एक नाबालिग दोषी उसे मिली तीन साल की सजा भुगतने के बाद रविवार को रिहा हो रहा है। दिल्ली हाईकोर्ट में उसकी रिहाई पर रोक लगाने के अनुरोध को ठुकरा दिया था। इसके साथ ही उसकी रिहाई का रास्ता साफ हो गया है।
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