आखिरकार 7 साल बाद निर्भया को इंसाफ ही मिल ही गया. आज सुबह 5:30 बजे चारों दोषियों को दिल्ली के तिहाड़ जेल में फांसी पर लटका दिया गया है और 6 बजे उनकी मौत का ऐलान किया जा चुका है. इससे पहले चारों को फांसी से बचाने के लिए रात में एक बार फिर दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई. रात में ही इस पर सुनवाई भी हुई लेकिन सभी दलीलों को नकारते हुए उनकी कोर्ट ने उनकी फांसी की सजा को बरकरार रखा. फांसी के बाद निर्भया की मां ने कहा कि बेटों को सिखाना पड़ेगा कि ऐसा करोगे तो ऐसा ही इंसाफ मिलेगा. निर्भया की मां के आंखे नम रही और उन्होंने कहा, ''आज का दिन हमारे बच्चियों के नाम, हमारे महिलाओं के लिए.. देर से ही लेकिन न्याय मिला.. हमारे न्यायिक व्यवस्था, अदालतों को धन्यवाद.''
निर्भया गैंगरेप केस : जानें कब क्या हुआ
- 16 दिसंबर 2012 : पैरामेडिकल छात्रा के साथ 6 लोगों ने पहले गैंगरेप किया और उसके साथ बुरी तरह से मारपीट कई गई. इस वारदात को चलती हुई बस के अंदर अंजाम दिया गया. घटना के समय पीड़िता के साथ उसका एक दोस्त भी था. उसके साथ भी मारपीट की गई.
- 17 दिसंबर : इस घटना से लोगों में काफी गुस्सा फैल गया और दिल्ली सहित पूरे देश में दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग को लेकर प्रदर्शन शुरू हो गए. इस बीच दिल्ली पुलिस ने चार दोषियों की भी पहचान कर ली. जिसमें राम सिंह, उसका भाई मुकेश, विनय शर्मा और पवन गुप्ता थे.
- 18 दिसंबर : राम सिंह सहित तीन को गिरफ्तार कर लिया गया.
- 19 दिसंबर को इन सभी को पीड़िता के साथी जो घटना के समय मौजूद था, ने पहचान लिया.
- 21 दिसंबर : आनंद विहार बस अड्डे से मुकेश को भी गिरफ्तार कर लिया गया जिसने खुद के नाबालिग होने का दावा किया था. इसके अलावा एक और दोषी अक्षय ठाकुर को पकड़ने के लिए पुलिस बिहार और हरियाणा में छापेमारी कर रही थी.
- 29 दिसंबर : इधर में दिल्ली में काफी इलाज के बाद पीड़िता को सिंगापुर ले जाया गया था. जहां उसने अस्पताल में दम तोड़ दिया.
- 17 जनवरी 2013 : फास्ट ट्रैक कोर्ट में मामले पांचों दोषियों और एक कथित नाबालिग के खिलाफ सुनवाई शुरू हुई.
- 11 मार्च 2013 : राम सिंह नाम जिसे कि मुख्य आरोपी माना जा रहा था उसे जेल में फांसी पर लटका हुआ पाया गया.
- 2 अप्रैल 2013 : इसी बीच रेप की घटनाओं के लेकर संसद में एक नया बिल पास हो गया था. जिसमें पीछा करने को अपराध माना गया और रेप के मामलों में फांसी की सजा का प्रावधान था.
- सितंबर 2013 : फास्ट ट्रैक अदालत ने सभी को दोषी पाया और फांसी की सजा सुना दी. इसमें नाबालिग को 3 साल की कैद हुई साल 2015 में वह कैद से बाहर आ गया.
- 5 मई 2017 : सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा बरकरार रखी. सभी दोषियों ने पुनर्विचार याचिका दाखिल की.
- 17 जनवरी 2020 : राष्ट्रपति ने कोविंद ने सभी की याचिका खारिज कर दी.
- 19 मार्च 2020 : सुप्रीम कोर्ट ने मुकेश की उस दलील को खारिज कर दिया जिसमें उसने दावा किया कि वह घटना वाले दिन दिल्ली में था ही नहीं.
- 20 मार्च 2020 : सुबह 5:30 बजे चारो को फांसी दी गई.