New Delhi:
बाबा निगमानंद की सोमवार को मौत हो गई लेकिन जिस लक्ष्य को लेकर वो लड़ रहे थे उसे सफल होते नहीं देख पाए। नैनीताल हाईकोर्ट ने 26 मई को फैसला दिया था कि गंगा के करीब के इलाके में स्टोन क्रशन सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन है लेकिन निगमानंद यह देख नहीं सके। इस समय तक वो कोमा में जा चुके थे। इधर, निगमानंद की मौत के मुद्दे पर बीजेपी का कहना है कि वो हाइकोर्ट के आदेश के खिलाफ आंदोलन कर रहे थे। बीजेपी प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि सरकार ने गंगा को बचाने के लिए जो कदम उठाए थे हाई कोर्ट ने उन्हें खत्म कर दिया था। राज्य सरकार ने उन्हें सबसे अच्छे अस्पताल में भर्ती कराया था। लेकिन कांग्रेस बीजेपी की किसी भी दलील को मानने के लिए तैयार नहीं है। कांग्रेस नेता जनार्दन द्विवेदी के मुताबिक और किसी को निगमानंद के अनशन की जानकारी हो न हो लेकिन उत्तराखंड सरकार को तो इस बारे में मालूम था फिर समय पर कदम क्यों नहीं उठाया गया। इधर केंद्रीय पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने निगमानंद को राज्य और केंद्र सरकार के लिए तमाचा बताया है। रमेश ने कहा कि राज्य सरकार ने जिम्मेदारी का परिचय नहीं दिया। उनका कहना था कि उन्होंने इस मुद्दे पर राज्य सरकार को चिट्ठी लिखी थी और उत्तराखंड सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया और बाद में बाबा निगमानंद की मौत हो गई।