प्रदूषण के कारण बेंगलुरु की झीलों का पानी जहरीला हो गया है
बेंगलुरु:
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश के बाद कर्नाटक सरकार का महकमा हरकत में आया है. कर्नाटक झील संरक्षण एवं विकास प्राधिकरण के सीईओ विद्यासागर राव ने अपने पूरे महकमे के साथ बेलन्दूर, वरतूर और यमलूर झील का दौरा किया.
विद्यासागर राव ने बताया कि बेलन्दूर लेक की साफ-सफाई के लिए ज़रूरी 40 एकड़ वेट लैंड तलाश ली है और इस पर एक हफ्ते के अंदर काम शुरू हो जाएगा. हालांकि, एक महीने की समयसीमा के अंदर 40 एकड़ जमीन को वेट लैंड के तौर पर विकसित करना मुश्किल है. ऐसे में वे चाहते हैं कि तेज़ी से काम किया जाए ताकि एनजीटी से थोड़ी और मोहलत ली जा सके.
दरअसल, पिछले हफ्ते एनजीटी ने निर्देश दिए थे कि कर्नाटक सरकार 2 हफ्ते के अंदर अपनी रणनीति कोर्ट को बताए कि सरकार किस तरह बेलन्दूर और दूसरी झीलों को पुनर्जीवित करेगी. कोर्ट ने झीलों और उसके बाहर 75 मीटर के बफ़र जोन में कूड़ा-करकट डालने वालों से 5 लाख रुपये के हिसाब से जुर्माना वसूलने के भी निर्देश दिए हैं. इस हिदायत के साथ एक महीने के अंदर झीलों को साफ किया जाए.
कर्नाटक प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, बीबीएमपी, बीडीए के साथ-साथ झील विकास प्राधिकरण के अधिकारी इन झीलों को सुधारने की कोशिश में जुट गए हैं. पिछले तक़रीबन दो दशकों से इन झीलों में प्रदूषण की वजह से निकलते झागों ने लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है और अब यहां आग भी लगने लगी है.
विद्यासागर राव ने बताया कि बेलन्दूर लेक की साफ-सफाई के लिए ज़रूरी 40 एकड़ वेट लैंड तलाश ली है और इस पर एक हफ्ते के अंदर काम शुरू हो जाएगा. हालांकि, एक महीने की समयसीमा के अंदर 40 एकड़ जमीन को वेट लैंड के तौर पर विकसित करना मुश्किल है. ऐसे में वे चाहते हैं कि तेज़ी से काम किया जाए ताकि एनजीटी से थोड़ी और मोहलत ली जा सके.
दरअसल, पिछले हफ्ते एनजीटी ने निर्देश दिए थे कि कर्नाटक सरकार 2 हफ्ते के अंदर अपनी रणनीति कोर्ट को बताए कि सरकार किस तरह बेलन्दूर और दूसरी झीलों को पुनर्जीवित करेगी. कोर्ट ने झीलों और उसके बाहर 75 मीटर के बफ़र जोन में कूड़ा-करकट डालने वालों से 5 लाख रुपये के हिसाब से जुर्माना वसूलने के भी निर्देश दिए हैं. इस हिदायत के साथ एक महीने के अंदर झीलों को साफ किया जाए.
कर्नाटक प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, बीबीएमपी, बीडीए के साथ-साथ झील विकास प्राधिकरण के अधिकारी इन झीलों को सुधारने की कोशिश में जुट गए हैं. पिछले तक़रीबन दो दशकों से इन झीलों में प्रदूषण की वजह से निकलते झागों ने लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है और अब यहां आग भी लगने लगी है.
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