राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने पांच किलो लीटर प्रति दिन से ज्यादा की अवजल निकासी वाली शिमला के सभी व्यावसायिक इमारतों को तीन माह के अंदर अपना खुद का सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने का निर्देश दिया है. अधिकरण के अध्यक्ष जस्टिस स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने हिमाचल प्रदेश सरकार और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से कहा कि वे दो हफ्ते के अंदर ऐसे सभी भवन निर्माताओं को नोटिस जारी करें और उन्हें निर्देशों का पालन करने को कहें.
हाल में ही पारित अपने आदेश में पीठ ने कहा, सुनवाई की अगली तारीख से पहले अनुपालन रिपोर्ट भी दाखिल की जानी चाहिए. उसे जल स्रोत तक ठोस कचरा और अन्य प्रदूषक ले जा रहे बरसाती नाले के मुद्दे से भी निबटना चाहिए. अधिकरण ने उनसे पूरे आंकड़े मांगे है कि समूचे शिमला शहर में नगरनिगम क्षेत्र में कितने नाले अवजल ले जाते हैं. मामले में अगली सुनवाई 21 जुलाई को होगी. अधिकरण शिमला आधारित अभिमन्यु राठोर की याचिका पर सुनवाई कर रहा था.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
हाल में ही पारित अपने आदेश में पीठ ने कहा, सुनवाई की अगली तारीख से पहले अनुपालन रिपोर्ट भी दाखिल की जानी चाहिए. उसे जल स्रोत तक ठोस कचरा और अन्य प्रदूषक ले जा रहे बरसाती नाले के मुद्दे से भी निबटना चाहिए. अधिकरण ने उनसे पूरे आंकड़े मांगे है कि समूचे शिमला शहर में नगरनिगम क्षेत्र में कितने नाले अवजल ले जाते हैं. मामले में अगली सुनवाई 21 जुलाई को होगी. अधिकरण शिमला आधारित अभिमन्यु राठोर की याचिका पर सुनवाई कर रहा था.
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