"अगले कुछ महीने बेहद सतर्क रहने की जरूरत", कोविड वर्किंग ग्रुप के प्रमुख एनके अरोड़ा ने किया अगाह

एनके अरोड़ा ने कहा कि बीते डेढ़ महीने से देश में कोरोना के सात से आठ अलग-अलग तरह के वायरस फैल रहे हैं. ऐसी स्थिति में हमे अगले छह महीने तक सावधान रहने की बेहद जरूरत है.

नई दिल्ली:

देश में कोरोना के बढ़ते मामलों और मास्क पहनने में लोगों द्वारा बरती जा रही लापरवाही को लेकर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की है. दिल्ली में भी बीते कुछ दिनों से कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है. राजधानी में संक्रमण दर में भी रिकॉर्ड उछाल देखा गया है. कोविड के बढ़ते मामलों के बीच एनडीटीवी ने कोविड वर्किंग ग्रुप के प्रमुख एनके अरोड़ा  से खास बातचीत की. NDTV से बातचीत के दौरान में एनके अरोड़ा ने कहा कि बीते डेढ़ महीने से देश में कोरोना के सात से आठ अलग-अलग तरह के वायरस फैल रहे हैं. ऐसी स्थिति में हमे अगले छह महीने तक सावधान रहने की बेहद जरूरत है. अगर इसी तरह से कोई नया वायरस नहीं आता है तो इसमें आगे ठील दी जा सकती है. लेकिन अभी मास्क न पहनने की गलती ना करें. क्योंकि अभी इन्फ्लूएंजा और कोविड का मिक्स इंफेक्शन भी बढ़ रहा है. मंकीपॉक्स के खतरे को टालने के लिए भी मास्क पहनने की जरूरत है. हमें अभी लापरवाह नहीं होना चाहिए. 

उन्होंने आगे कहा कि बीते तीन महीने से जांच की दर, चाहे बात RTPCR की हो या फिर रेपिड टेस्ट की, इसकी संख्या बिल्कुल कम हो गई है. ये समान्य सी बात है कि अगर हम टेस्टिंग कम कर देंगे तो मामले बढ़ जाएंगे. आज चारों तरफ मामले बढ़ रहे हैं. इस समय चिंता का जो कारण होना चाहिए वो ये कि इस बीमारी से कितने लोग गंभीर हालत में भर्ती हो रहे हैं औऱ कितने नए मरीजों की मौत हो रही है. जब ऐसी स्थिति हो और जांच भी कम हों तो मामले ज्यादा आएंगे ही. लिहाजा फिलहाल नए मामलों की तुलना में हमे इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि अस्पताल में भर्ती कितने लोग हो रहे हैं. संक्रमण दर को भी बड़ी चिंता की तरह नहीं देखना चाहिए. बीते कुछ दिनों में कोरोना से दिल्ली में उन मरीजों की मौत हुई है जिनकी स्थिति पहले से ही ज्यादा खराब थी.

अस्पातल में भर्ती होने की दर पर उन्होंने कहा कि बीते तीन से चार महीने में देश भर में कोविड के लिए बनाए गए 99 फीसदी से ज्यादा बिस्तर खाली पड़े हैं. कुल मिलाकर हालात ऐसे हैं कि संक्रमण की दर से परेशान न हों. लेकिन ऐसा भी नहीं है कि हम लापरवाह हो जाएं, हमे सतर्क रहने की जरूरत है. देश भर से आने वाले हर हफ्ते के मामले बताते हैं कि ज्यादा चिंता करने वाली बात नहीं है.

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

बात अगर नए वेरिएंट की बात करें तो देश के अलग-अलग हिस्से में कई सब-वेरिएंट आ चुके हैं. सभी नए वेरिएंट असली ओमिक्रॉन की तुलना में ज्यादा संक्रामक हैं, इस वजह से संक्रमण तेजी से फैल रहा है. लेकिन भारत में जहां करीब-करीब सभी लोगों को दो टीके लग चुके हैं जो व्यस्क हैं. अगर ओमिक्रॉन दोबारा होता है तो ज्यादा गंभीर बात नहीं है.