देश में कोरोना के बढ़ते मामलों चिंता पैदा कर दी है. पुराने अनुभवों के कारण लोगों में डर का माहौल है. हालांकि, डॉक्टरों और विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना के बढ़ते आंकड़ों से डरने की कोई जरूरत नहीं है. एनटीएजीआई के कोविड कार्यकारी समूह के प्रमुख डॉ. एन.के. अरोड़ा का कोविड पर एनडीटीवी के साथ स्पेशल इंटरव्यू में भी इसी बात पर जोर दिया है.
उन्होंने कहा कि ओमिक्रॉन के एक रूप XBB की वजह से मामले बढ़े हैं और इसके बहुत सारे सब-वैरिएंट हैं. अभी जिसे भी संक्रमण हो रहा है वो बहुत हल्का है, 4-5 दिनों में ठीक हो जाता है. गंभीर बीमारी होने की संभावना बहुत कम है. अस्पताल में दाखिले नहीं बढ़े हैं. वहीं, कोरोना की वजह से मृत्यु का आंकड़ा भी नहीं बढ़ा है.
डॉ. अरोड़ा ने कहा कि दाखिले और मौत में ज्यादातर बुजुर्ग और काफी समय से बीमार मरीज़ हैं. वायरस की वजह से गंभीर बीमारी नहीं देखी जा रही है. आंकड़ा बड़ा भले ही है, लेकिन ये कुछ समय के लिए रहेगा. ये गंभीर बीमारी नहीं करेगा. ये कोई नई लहर नहीं, तीसरी लहर का हिस्सा है.
उन्होंने कहा कि पिछले 15 महीने में करीब 450 म्यूटेंट देखे गए हैं. ये नया म्यूटेंट ज्यादा संक्रामक है पर गंभीर नहीं. मामलों से परेशान होने की जरूरत नहीं है. बूस्टर डोज 27-28 प्रतिशत लोगों ने ही लिया है, बुजुर्गों ने अगर एहतियाती टीका नहीं लिया है तो ले लें. बच्चों में पिछले तीन साल में जैसा संक्रमण रहा है, ठीक वैसे ही रहेगा. उन्हें ज्यादा प्रभावित नहीं करेगा.
डॉक्टर ने कहा कि इन्फेक्शन बच्चों में होता है. लेकिन उनमें या तो लक्षण नहीं दिखाता या फिर हल्का लक्षण होता है. बच्चे को अगर कोई पुरानी बीमारी हो तो कोरोना से संक्रमित होने की संभावना बढ़ जाती है. राष्ट्रीय नीति के हिसाब से 12 से ऊपर के बच्चों के लिए ही हमारे प्रोग्राम में टीका है.
उन्होंने कहा कि 12 से 18 साल के आयु वर्ग में 90 प्रतिशत से अधिक बच्चों को टीका मिल चुका है. covaxin, Carbevax, covovax, zycov D ये चारों टीके 12 साल से ऊपर के बच्चों के लिए हैं. 12 साल से नीचे के बच्चों के टीकाकरण को लेकर राष्ट्रीय नीति नहीं है. बूस्टर डोज के बाद बूस्टर के सवाल पर उन्होंने कहा कि बीमारी इवॉल्व हो रही है. 97 प्रतिशत लोगों को प्राइमरी टीका लग चुका है. बच्चों में 90 प्रतिशत से ज्यादा टीकाकरण हुआ है.
डॉ. अरोड़ा ने कहा कि मामले और पॉजिटिविटी रेट अहम नहीं है. अस्पताल में दाखिले नहीं बढ़े हैं ये अहम है. निगरानी बनाए रखने की जरूरत है.
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