नई दिल्ली:
जो लोग पुराना प्रगति मैदान टूटता देख मायूस हैं, वे शायद यह जानकर खुश हों कि प्रगति मैदान की भव्यता नए अंदाज़ में भी बनी रहेगी. आने वाले दो साल में प्रगति मैदान बिल्कुल बदल जाएगा. 7 हजार लोगों की क्षमता वाले कन्वेंशन सेंटर में ग्लास फेसेड लगा होगा और यहां से इंडिया गेट भी दिखेगा. इतना ही नहीं 32 मीटर ऊंचे कन्वेंशन सेंटर के ऊपर तीन हेलीपैड भी होंगे. इसमें करीब 2250 करोड़ की लागत आएगी. दो साल में पूरा करेंगे. इसके अलावा ट्रैफिक इंटरवेंशन पर 800 करोड़ की लागत आएगी.
इसके अलावा एक लाख वर्ग मीटर में कुछ इस तरह के सात आधुनिक एक्जीबिशन सेंटर बनेंगे. साथ ही 15 एकड़ के ओपन एक्जीबिशन एरिया में 3000 लोगों की क्षमता वाले 4 एम्पीथियेटर्स बनकर तैयार होंगे. गाड़ियों की आवाजाही के लिए पुराना किला रोड से रिंग रोड तक करीब 1 किलोमीटर लंबी सुरंग बनेगी जो प्रगति मैदान के ठीक नीचे से निकलेगी. यहीं से प्रगति मैदान की 4800 गाड़ियों की पार्किंग तक जाया जा सकेगा. काम के दौरान भी यहां होने वाले कार्यरम चलते रहेंगे. आईआईटीएफ में थोड़ी कटौती करनी पड़ेगी, फिर भी वो आयोजन भी यहां होगा.
इंतजाम यहां ऐसे होंगे कि ट्रैफिक में कोई रुकावट न आए. इसको लेकर प्रगति मैदान को चारों तरफ से जोड़ने वाली सड़कों पर कई अंडरपास भी बनाए जाएंगे ताकि रोड सिग्नल फ्री रहे. लागत के भार को कम करने के लिए प्रगति मैदान का एक हिस्सा प्राइवेट सेंटर को होटल बनाने के लिए बेचा जाएगा.
बेशक-वक्त बदल रहा है. जरूरतें बदल रही हैं। तो नए लुक को लेकर प्रगति मैदान भी प्रगति के पथ पर है. पुराने लुक से जुड़ाव मुमकिन है पर जब बात बढ़ती जरूरतों और समय के हिसाब से चलने की हो तो बदलाव भी लाजिमी है.
इसके अलावा एक लाख वर्ग मीटर में कुछ इस तरह के सात आधुनिक एक्जीबिशन सेंटर बनेंगे. साथ ही 15 एकड़ के ओपन एक्जीबिशन एरिया में 3000 लोगों की क्षमता वाले 4 एम्पीथियेटर्स बनकर तैयार होंगे. गाड़ियों की आवाजाही के लिए पुराना किला रोड से रिंग रोड तक करीब 1 किलोमीटर लंबी सुरंग बनेगी जो प्रगति मैदान के ठीक नीचे से निकलेगी. यहीं से प्रगति मैदान की 4800 गाड़ियों की पार्किंग तक जाया जा सकेगा. काम के दौरान भी यहां होने वाले कार्यरम चलते रहेंगे. आईआईटीएफ में थोड़ी कटौती करनी पड़ेगी, फिर भी वो आयोजन भी यहां होगा.
इंतजाम यहां ऐसे होंगे कि ट्रैफिक में कोई रुकावट न आए. इसको लेकर प्रगति मैदान को चारों तरफ से जोड़ने वाली सड़कों पर कई अंडरपास भी बनाए जाएंगे ताकि रोड सिग्नल फ्री रहे. लागत के भार को कम करने के लिए प्रगति मैदान का एक हिस्सा प्राइवेट सेंटर को होटल बनाने के लिए बेचा जाएगा.
बेशक-वक्त बदल रहा है. जरूरतें बदल रही हैं। तो नए लुक को लेकर प्रगति मैदान भी प्रगति के पथ पर है. पुराने लुक से जुड़ाव मुमकिन है पर जब बात बढ़ती जरूरतों और समय के हिसाब से चलने की हो तो बदलाव भी लाजिमी है.
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