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दिल्‍ली में नए कानून के तहत पहली FIR, कमला मार्किट थाने में हुई दर्ज

दिल्‍ली में नए कानून के तहत पहली FIR कमला मार्किट थाने में दर्ज हुई है. पुलिस ने नए कानून BNS की धारा 285 के तहत एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.

दिल्‍ली में नए कानून के तहत पहली FIR, कमला मार्किट थाने में हुई दर्ज
तीन नये आपराधिक कानून आज से देशभर में लागू...
नई दिल्‍ली:

भारतीय न्याय संहिता के तहत सेंट्रल दिल्ली के कमला मार्किट थाने में नए कानून के हिसाब से पहली एफआईआर दर्ज हो गई है. देर रात पैट्रोलिंग के दौरान पुलिसकर्मी ने देखा एक शख्स रेलवे स्टेशन के पास बीच सड़क पर रेहड़ी लगाकर पानी, गुटखा बेच रहा था, जिससे लोगों को उसने जाने में दिक्कत हो रही थी. कई बार कहने पर वो नहीं माना और मजबूरी बताकर चला गया. मौके पर मौजूद पुलिसकर्मी ने उसका नाम पता पूछकर नए कानून BNS की धारा 285 के तहत एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.

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तीन नये आपराधिक कानून आज से देशभर में लागू हो गए हैं, जिससे भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में व्यापक बदलाव आ गया और औपनिवेशिक काल के कानूनों का अंत हो गया. भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम ब्रिटिश काल के क्रमश: भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम का स्थान ले लिया है. 

नये कानूनों से एक आधुनिक न्याय प्रणाली स्थापित होगी जिसमें ‘जीरो एफआईआर', पुलिस में ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराना, ‘एसएमएस' (मोबाइल फोन पर संदेश) के जरिये समन भेजने जैसे इलेक्ट्रॉनिक माध्यम और सभी जघन्य अपराधों के वारदात स्थल की अनिवार्य वीडियोग्राफी जैसे प्रावधान शामिल होंगे. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इन कानूनों में कुछ मौजूदा सामाजिक वास्तविकताओं और अपराधों से निपटने का प्रयास किया गया और संविधान में निहित आदर्शों को ध्यान में रखते हुए इनसे प्रभावी रूप से निपटने का एक तंत्र मुहैया कराया गया है.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि नये कानून न्याय मुहैया कराने को प्राथमिकता देंगे जबकि अंग्रेजों (देश पर ब्रिटिश शासन) के समय के कानूनों में दंडनीय कार्रवाई को प्राथमिकता दी गयी थी. उन्होंने कहा, "इन कानूनों को भारतीयों ने, भारतीयों के लिए और भारतीय संसद द्वारा बनाया गया है तथा यह औपनिवेशिक काल के न्यायिक कानूनों का खात्मा करते हैं." नये कानूनों के तहत आपराधिक मामलों में फैसला मुकदमा पूरा होने के 45 दिन के भीतर आएगा और पहली सुनवाई के 60 दिन के भीतर आरोप तय किए जाएंगे.

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