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This Article is From Feb 26, 2016

जेएनयू के माहौल को बदलने की जरूरत : पूर्व सैनिक

जेएनयू के माहौल को बदलने की जरूरत : पूर्व सैनिक
नई दिल्ली: पहले से ही राष्ट्रद्रोह नारे की वजह से विवादों से चर्चा में रही यूनिवर्सिटी यानी कि जेएनयू के माहौल को लेकर पू्र्व सैनिकों ने वाइस चांसलर एम जगदीश कुमार से मुलाकात की। इन सैनिकों ने इस पर गहरी चिंता जताई है कि वहां जो कुछ हुआ वो बहुत गलत है। खासकर यूनिवर्सिटी के अंदर जिस तरह राष्ट्र विरोधी नारे लगे उससे सैनिक बूरी तरह आहत है।

इन्होंने वाइस चासंलर से कहा कि आप यूनिवर्सिटी के अंदर  युद्ध स्मारक या फिर सेना से जुड़ी पुराने टैंक या लड़ाकू विमान रखे जाएं और छात्रों को देश के गौरव व सेना के बारे बताएं।

आपको ये बता दें कि इससे पहले सेना के नेशनल डिफेंस अकादमी (एनडीए) से पास हुए 54वें बैच के अधिकारियों ने जेएनयू के वाइस चासंलर को चिट्ठी लिखकर साफ किया है कि अगर यूनिवर्सिटी में ऐसी ही देश विरोधी हरकत जारी रही है, तो वो अपनी डिग्री लौटा देंगे। 1975 से हर साल करीब पांच सौ एनडीए के कैड्टस को जेएनयू बैचलर ऑफ ऑर्ट्स यानी कि बीए की डिग्री देता है।

सेना से रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल निरंजन सिंह की अगुवाई में करीब आठ पूर्व सैन्य अधिकारी जेएनयू के वाइस चांसलर से मिले। करीब एक घंटे तक चली मुलाकात में इन पूर्व सैनिकों से पूछा क्या कभी किसी सैनिक के शहीद होने पर कोई कार्यक्रम होता है या नहीं। यही नहीं, हाल में सेना के कश्मीर में चलाए गए ऑपरेशन में कैप्टन पवन शहीद हुए, तो उन्हें क्यों नहीं याद किया गया, जबकि वो तो आपके विश्वविधालय के छात्र रहे हैं। इन्होंने सुझाव दिया कि यहां के छात्रों को एनडीए या फिर सेना के कैंपों में ले जाना चाहिए और एनडीए के कैडट्स को जेएनयू लेकर आना चाहिए।  

लेफ्टिनेंट जनरल सिंह ने भी कहा कि यहां पढ़े हुए जितने भी सेना के अफसर लड़ते हुए शहीद हुए हैं, उनके नाम एक दीवार या फिर कहीं और सम्मानजनक स्थिति में लिखा जाना चाहिए ताकि नए छात्र उनसे प्रेरणा ले सकें। 

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