- गृह मंत्री अमित शाह ने बिहार की वोटर लिस्ट में घुसपैठियों को देश की सुरक्षा का गंभीर मुद्दा बताया है
- हाल ही में 65 लाख मतदाता जो मृत या दूसरे राज्यों में गए थे, उन्हें वोटर लिस्ट से हटाया गया है
- बिहार में 35 लाख ऐसे लोग भी थे जिनका नाम हटाया गया और उन्होंने इस पर कोई आपत्ति नहीं जताई थी
NDTV Power Play कार्यक्रम में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने घुसपैठ के मुद्दे पर स्पष्ट और सख्त रुख अपनाया. जब उनसे पूछा गया कि बिहार में एसआईआर (Systematic Voter List Revision) के आंकड़ों के मुताबिक बड़े पैमाने पर घुसपैठ की पुष्टि नहीं हो रही है, तो उन्होंने कहा कि यह सिर्फ आंकड़ों का खेल नहीं है, बल्कि देश की सुरक्षा का सवाल है. गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि हाल ही में 65 लाख मतदाता सूची से हटाए गए हैं, जिनमें वे लोग शामिल हैं जो या तो मृत हो चुके हैं या दूसरे राज्यों में चले गए हैं.
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घुसपैठिया देश की सुरक्षा का मुद्दा
इसके साथ ही गृह मंत्री शाह ने कहा कि 35 लाख ऐसे लोग भी हैं जो बिहार में ही रह रहे थे, उनका नाम सूची से हटा दिया गया और उन्होंने कोई आपत्ति नहीं जताई. शाह ने सवाल उठाया कि क्या ऐसे लोगों का नाम वोटर लिस्ट में होना चाहिए? उन्होंने कहा, “हमारे लिए घुसपैठिया कोई चुनावी मुद्दा नहीं है, यह देश की सुरक्षा का मुद्दा है. बिहार की वोटर लिस्ट में घुसपैठियों का नाम रहना चाहिए या नहीं, इस पर दो दलों की राय है कि उनका नाम रहना चाहिए. लेकिन हमारी सोच साफ है कि देशभर से ऐसे लोगों को चुन-चुन कर निकालना चाहिए. यही काम एसआईआर के जरिए चुनाव आयोग कर रहा है.”
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घुसपैठिया विरोधियों का वोट बैंक
इस दौरान अमित शाह ने विपक्ष पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा, “चाहे लालू जी की पार्टी हो या कांग्रेस, ये एसआईआर का विरोध इसलिए कर रहे हैं क्योंकि इन्होंने घुसपैठियों को अपना वोट बैंक बना लिया है.” उन्होंने कहा कि बीजेपी की नीति है पहले पहचान करो, फिर वोटर लिस्ट से नाम हटाओ और अंत में डिपोर्ट करो. केंद्रीय गृह ने कहा कि जंगलराज चेहरे और भेष बदलकर आज भी आ रहा है, रोक सकें तो रोक लेना, गलती से बिहार में अगर महाठगबंधन की सरकार आई तो फिर से जंगलराज आएगा. 17 महीने में नीतीश ही सीएम थे, लालू और तेजस्वी का पता क्या है, एक ही घर में रहते हैं.
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