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This Article is From Jun 17, 2024

NDTV ग्राउंड रिपोर्ट: यमुनोत्री से हथिनीकुंड कैसे पहुंचता है यमुना का पानी, दिल्ली से पहले कहां हो रहा गायब, हैरान रह जाएंगे

Delhi Water Crisis: यमुना नदी यमुनोत्री से निकलती है. यमुनोत्री उत्तराखंड में है. यमुना नदी उत्तराखंड और हिमाचल के पहाड़ों से होती हुई आती है. यमुना नदी के पानी में टोंस और गिरी नदी का पानी भी मिलता है. शिवालिक के पहाड़ों से निकलते ही जैसे ही यमुना नदी मैदान में आती है, तो वो हथिनी कुंड बैराज पर आती है.


दिल्ली में इन दिनों पानी की बहुत किल्‍लत चल रही है और यमुना में कम पानी होने के चलते एक तरफ वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट कम काम कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ यमुना के पानी पर सियासत भी हो रही है. यमुना नदी का पानी हरियाणा से ही कम होना शुरू हो जाता है और दिल्ली आते-आते लगभग खत्म-सा होता दिखाई देता है. हरियाणा में यमुना का जलस्तर देखकर समझ में आता है कि आखिर दिल्ली में यमुना का यह जलस्तर क्यों है. यमुना के पानी की क्वालिटी हरियाणा से ही खराब होनी शुरू हो जाती है और दिल्ली शहर में आकर बहुत ज्यादा प्रदूषित हो जाती है. कहने को हम नदियों को अपनी मां का दर्जा देते हैं. हम मानते हैं कि इनकी वजह से ही हमारा जीवन है, लेकिन आज यमुना नदी की जो हालत हो गई है, उसे देखकर लगता है कि हमें जीवन देने वाली नदी खुद अपने जीवन के लिए संघर्ष कर रही है... तड़प रही है.  NDTV की टीम ने हरियाणा और दिल्ली की 7 लोकेशन पर जाकर यमुना के पानी की स्थिति देखने और समझने की कोशिश की.


Location-1: हरियाणा के हथनीकुंड बैराज में जानवर चर रहे घास

यमुना नदी यमुनोत्री से निकलती है. यमुनोत्री उत्तराखंड में है. यमुना नदी उत्तराखंड और हिमाचल के पहाड़ों से होती हुई आती है. यमुना नदी के पानी में टोंस और गिरी नदी का पानी भी मिलता है. शिवालिक के पहाड़ों से निकलते ही जैसे ही यमुना नदी मैदान में आती है, तो वो हथिनी कुंड बैराज पर आती है. हथनीकुंड बैराज उत्तर प्रदेश और हरियाणा के बॉर्डर पर बनाया गया, बहुत अहम बैराज है, क्योंकि यहीं से यमुना तीन हिस्सों में बंट जाती है और और यह भी एक कारण है कि यमुना में पानी कम हो जाता है. यमुना के पानी का पहला हिस्सा वेस्टर्न यमुना कैनाल में जाता है, जो हरियाणा की तरफ चला जाता है. यह पानी आगे चलकर दिल्ली और राजस्थान के भी काम आता है. दूसरा हिस्सा उत्तर प्रदेश की तरफ चला जाता है, इससे उत्तर प्रदेश के लोग सिंचाई करते हैं. जो पानी बच जाता है, उसे मुख्य यमुना नदी में छोड़ दिया जाता है. हथनीकुंड बैराज पर ज़्यादा पानी नज़र नहीं आया, हालत यह थी कि नदी के बीच में खाली जमीन नजर आ रही थी, जिसमें जानवर घास चर रहे थे. ज़ाहिर-सी बात है कि नदी के बीच में अगर जानवर घास चरने जा रहे हैं, तो इसका मतलब पानी इतना नहीं कि जानवर डूब सकें यानी जल स्तर ज़्यादा नहीं है.

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Location-2: यमुना नगर के ओधरी गांव: यमुना में यहां भी पानी बेहद कम

यमुना नदी को ट्रैक करते हुए हम हरियाणा के यमुनानगर जिले के ओधरी गांव पहुंचे. यहां हमें दिखाई दिया कि यमुना में पानी बहुत ज्यादा नहीं है. साथ में यह भी दिखाई दिया कि वैसे तो अपने यहां पर साफ दिख रहा था, लेकिन एक नल यमुना नदी में गिर रहा था, जिसकी वजह से यमुना का पानी दूषित हो रहा था. यहां भी पानी की स्थिति कुछ अच्‍छी नहीं थी. 

Location-3: खोजकीपुर में पानी को लेकर यूपी और हरियाणा के लोगों में कई दशकों से विवाद

यमुना का सफर अब हरियाणा के पानीपत जिले के खोजकीपुर गांव में पहुंचा. यहां पर यमुना का जलस्तर बहुत ही कम दिखाई दिया और जो पानी यमुना में मौजूद था, वह भी बहुत ज्यादा गंदा दिखाई दिया. यह वह जगह है, जहां पर उत्तर प्रदेश का बागपत जिला और हरियाणा का पानीपत जिला मिलते हैं और यहीं से यमुना नदी निकलती है. गांव के लोगों ने बताया कि यमुना नदी की वजह से यूपी और हरियाणा के गांव के लोगों में कई दशकों से विवाद चल रहा है. दरअसल, नदी किनारे दोनों तरफ के लोगों की जमीन है, लेकिन यमुना का बहाव कभी हरियाणा की तरफ हो जाता है तो कभी उत्तर प्रदेश की तरफ, जिसकी वजह से गांव के लोगों की जमीन पर कभी पानी आ जाता है, तो कभी ज़मीन दिख जाती है. बस इसी बात को लेकर दोनों तरफ विवाद चलता रहता है.

Location-4: पल्ला गांव से दिल्‍ली में प्रवेश करती है यमुना

दिल्ली में यमुना नदी का प्रवेश पल्ला गांव से होता है. यहां पर भी यमुना नदी में बहुत ज्यादा पानी नजर नहीं आया. जो पानी था, अभी उसका एक अहम कारण था इसमें पड़ने वाले सीवर और फैक्ट्री से निकलने वाले नाले. इस कारण से नंगी आंखों से यहां का पानी साफ नजर नहीं आ रहा था. आपको बता दें कि दिल्ली जल बोर्ड यहां से ट्यूबवेल लगाकर अच्छी मात्रा में पानी निकलता है और दिल्ली के लोगों को सप्लाई करता है.

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Location-5: दिल्ली का वज़ीराबाद बैराज क्षमता से कम पर कर रहा काम 

दिल्ली में यमुना के प्रवेश करने के बाद सबसे पहले वजीराबाद बैराज आता है. यहां से दिल्ली जल बोर्ड वजीराबाद और चंद्रावल वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट को सप्लाई करता है. यहीं पर यमुना किनारे पर लगा हुआ है, 131 एमजीडी क्षमता वाला वजीराबाद वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट, जो इन दिनों कम पानी मिलने के चलते अपनी क्षमता से कम पानी साफ करके सप्लाई कर पा रहा है. बताया जाता है कि यहां यमुना के तालाब जहां से वजीराबाद वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट के लिए पानी उठाया जाता है, वहां कम से कम 674.5 फ़ीट के स्तर पर यमुना का जलस्तर जरूर रहता है, लेकिन इन दिनों यमुना का जलस्तर करीब 669 फ़ीट के पास पहुंच गया है.


Location-6: सिग्नेचर ब्रिज कह रहा यमुना की दुर्गति की कहानी

दिल्ली की पहचान माने जाने वाला सिग्नेचर ब्रिज नंगी आंखों से इन दिनों यमुना की दुर्गति की कहानी कहता है. यहां पर खड़े होकर आपको दिखाई देता है कि यमुना में नजफगढ़ नाले का पानी पूरी तरह से हावी है, क्योंकि मुख्य नदी में पानी कम है और नजफगढ़ नाले का पानी लगातार नदी में आ रहा है. इसलिए यहां पर नदी एक नाले से ज्यादा कुछ नजर नहीं आ रही. नदी में नाले के पानी की दुर्गंध भी आपको परेशान करती है. यमुना नदी जैसी नदी को नाला कहना बहुत तकलीफ देह, लेकिन दरअसल यही दिल्ली के लोगों का दर्द है. सिगनेचर ब्रिज, वजीराबाद बैराज के एकदम बराबर में है. दिल्ली में यमुना नदी पल्ला गांव से शुरू होती है और जयपुर गांव तक जाती है. यह कुल सफर 52 किलोमीटर का है. लेकिन यमुना की सबसे ज्यादा दुर्गति होती है, वजीराबाद से लेकर ओखला के 22 किलोमीटर के बीच में.

Location-7: ओखला बैराज पर पूरी तरह सूखी यमुना नदी 

दिल्ली में यमुना पर आखिरी बैराज है ओखला बैराज, यहां पर यमुना पूरी तरह से सूखी हुई नजर आ रही है. केवल एक तरफ कोने में थोड़ा पानी दिखाई देता है, जो किसी नाले के पानी जैसा दिखता भी है और उसमें दुर्गंध भी महसूस होती है.

दिल्ली की अधिकतर प्‍यास यमुना, रावी-व्यास नदी से बुझती है. हिमाचल से दिल्‍ली के लिए पानी छोड़ा जाता है, जो हरियाणा के रास्‍ते मुनक नहर से होता हुआ, दिल्‍ली पहुंचता है. यह नहर करनाल जिले में यमुना का पानी लेकर खूबरू और मंडोर बैराज से होकर दिल्ली के हैदरपुर पहुंचती है. हरियाणा से दिल्‍ली में पानी दो रास्‍तों या चैनलों से आता है. ये दो चैनल हैं, कैरियर लाइन्ड चैनल (सीएलसी) और दिल्ली सब ब्रांच (डीएसबी), यही दिल्ली को यमुना और रावी-ब्यास नदियों से पानी की आपूर्ति करते हैं. दिल्ली को सीएलसी के जरिए 719 क्यूसेक पानी मिलता है. इससे बेहद कम पानी की हानि होती है और डीएसबी के माध्यम से 330 क्यूसेक (कुल लगभग 565 एमजीडी) प्राप्त होता है.

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