- आकाश प्राइम का लद्दाख में सफल परीक्षण हुआ है, जो 15 हजार फीट की ऊंचाई पर भी दुश्मन के हवाई हमलों को सटीकता से रोक सकता है.
- आकाश प्राइम में स्वदेशी रेडियो फ्रिक्वेंसी सीकर लगा है, जो किसी भी मौसम और इलाके में दुश्मन के हमलों को हवा में नाकाम कर सकता है.
- आकाश प्राइम ने हवा में दो तेजी से उड़ते हुए लक्ष्यों पर सीधी मार कर यह बता दिया कि इस ऊंचाई पर भी दुश्मन के हमलों को वो हवा में ही नाकाम करने में पूरी तरह सक्षम है.
आज की लड़ाई हम बीते कल के हथियारों से नहीं जीत सकते. देश के CDS जनरल अनिल चौहान ने ये जो बात कही, उस पर सरकार गंभीरता से अमल कर रही है. देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भविष्य के हथियारों को तैयार करने का काम चल रहा है. ऑपरेशन सिंदूर ने बता दिया है कि आधुनिकतम हथियार जितने अधिक स्वदेशी हों उतने बेहतर. ऑपरेशन सिंदूर में ऐसे ही एक स्वदेशी हथियार आकाशतीर ने पाकिस्तान के हमलों को नाकाम करने में बड़ी भूमिका निभाई थी. उसी आकाशतीर के नये और आधुनिक संस्करण आकाश प्राइम का लद्दाख में कामयाब परीक्षण हुआ.
चीन की सीमा से कुछ ही दूर पूर्वी लद्दाख में 15 हजार फीट की ऊंचाई पर दो दिन चले ट्रायल के दौरान आकाश प्राइम अपने सभी मकसदों में कामयाब रहा. इतनी ऊंचाई पर जहां ऑक्सीजन बहुत कम होती है, वहां आकाश प्राइम ने हवा में दो तेजी से उड़ते हुए लक्ष्यों पर सीधी मार कर यह बता दिया कि इस ऊंचाई पर भी दुश्मन के हमलों को वो हवा में ही नाकाम करने में पूरी तरह सक्षम है. आकाश प्राइम में स्वदेशी active Radio Frequency (RF) seeker लगा है जो किसी भी मौसम और किसी भी इलाके में दुश्मन के हमले को बहुत ही सटीक तरीके से हवा में नाकाम कर सकता है.
इसलिए खास है आकाश प्राइम
आकाश प्राइम भारतीय सेना में आकाश एयर डिफेंस सिस्टम की तीसरी और चौथी रेजीमेंट का हिस्सा बनेगा.
- आकाश एक AI से लैस एयर डिफेंस सिस्टम है.
- यह पूरी तरह देश में ही विकसित किया गया है.
- जमीन से हवा में मार करने वाला मिसाइल प्लेटफॉर्म है.
- इसका इस्तेमाल अपने अहम ठिकानों को दुश्मन के मिसाइल, ड्रोन या हवाई हमलों से बचाने के लिए किया जाता है.
- इसे 5000 मीटर की ऊंचाई तक इस्तेमाल किया जा सकता है.
- यह 25 से 30 किलोमीटर दूरी तक लक्ष्यों को भेद सकता है.
- आकाश सिस्टम एक मोबाइल सिस्टम है, जिसे गाड़ी में रखकर युद्धभूमि में पहुंचाया जा सकता है.
- देश के इंटीग्रेटेड कमांड, कंट्रोल, कम्युनिकेशन, कंप्यूटर्स, इंटेलिजेंस, सर्वेलेंस और रीकॉनिशेंस सिस्टम यानी C4ISR के साथ ये पूरी तरह इंटीग्रेटेड है.
- कुल मिलाकर दुश्मन के हमलों से बचने के लिए ये भारत के आयरन डोम का अहम हिस्सा है.
देश में विकसित आधुनिक डिफेंस सिस्टम
ऑपरेशन सिंदूर ने भविष्य के युद्धों में स्वदेश में विकसित आधुनिकतम टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल की जरूरत को काफी गंभीरता से साबित किया है. रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लिए भारत की कोशिशें काफी पहले से चल रही हैं, लेकिन बीते कुछ दशक में ये काफी तेज हुई हैं. इसी का नतीजा है कि भारत के पास कई ऐसे आधुनिकतम डिफेंस सिस्टम हैं, जो पूरी तरह देश में ही विकसित किए गए हैं. इनमें से कुछ प्रमुख हैं-
- धनुष आर्टिलेरी गन सिस्टम
- एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS)
- मेन बैटल टैंक अर्जुन
- लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस (LCA)
- एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर (ALH)
- लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर (LUH)
- वैपन लोकेटिंग राडार
- 3D टैक्टिकल कंट्रोल राडार
- नौसेना के डिस्ट्रॉयर
- पनडुब्बियां
- फ्रिगेट्स
- कॉर्वेट्स
- और एयर क्राफ्ट कैरियर विक्रांत शामिल हैं.
हथियारों के निर्यात में 12.04 फीसदी का इजाफा
दुनिया के कई देश भारत में विकसित इन हथियारों को खरीदना चाहते हैं और खरीद भी रहे हैं, जैसे आकाश एयर डिफेंस सिस्टम को आर्मेनिया को निर्यात किया गया है.
पिछले वित्तीय साल 2024-25 में भारत ने 23,622 करोड़ रुपए के हथियारों का निर्यात किया है, जबकि उससे पिछले साल 21,083 करोड़ रुपए के हथियारों का निर्यात किया गया था यानी बीते साल हथियारों के निर्यात में 12.04% की बढ़ोतरी हुई. भारत का 2029 तक 50 हजार करोड़ रुपए के हथियारों के निर्यात का लक्ष्य है और इस दिशा में आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया जैसी मुहिम काफी कारगर साबित हो रही हैं.
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