
दिल्ली NCR के लाखों होम बायर्स के साथ बिल्डरों ने धोखा किया. नोएडा और गाजियाबाद में हालात सबसे ज्यादा खराब हैं. सुप्रीम कोर्ट ने एक एसआईटी का गठन कर इस पूरे मामले की जांच करने को कहा है, लेकिन होम बायर्स इसे राहत नहीं मान रहे, बल्कि उन्हें डर है कि इससे मामला और लंबा खिंचेगा. रेरा में केस जीतने के बावजूद 4 साल से फ्लैट क्यों नहीं मिल रहा है...? दिल्ली NCR के राजनगर एक्सटेंशन में बिल्डर और बैंकर की सांठगांठ से होम बायर्स के दो सौ करोड़ रुपये डूब गए. अब होम बायर्स लाखों रुपये गंवाकर दर दर भटक रहे हैं. ऐसे ही होम बायर्स से एनडीटीवी ने खास मुहिम में जाना उनका दर्द.
रेरा में केस भी जीता, सुप्रीम कोर्ट की राहत भी...
गाजियाबाद के राज नगर एक्सटेंशन के 'स्टार रामेश्वरम' का एक प्रोजेक्ट पिछले कई साल से लटका है. होम बायर्स का पूरा पैसा जा चुका है. यहां तक कि रेरा से कई लोग केस भी जीत चुके हैं लेकिन फ्लैट्स अब तक नहीं मिले हैं. इस प्रोजेक्ट में फ्लैट खरीदने वाले एक शख्स ने बताया, 'सुप्रीम कोर्ट कहती है SIT बनाओ, बिल्डर का क्या है वो उनको पैसे खिलाएंगे हमको इसका क्या फ़ायदा है. रेरा जब बना था, तब उम्मीद जागी थी कि न्याय मिलेगा, लेकिन रेरा बिल्डर को बुला तक नहीं पाता नहीं है. हम लोगों की उम्मीद टूट चुकी है, काम धाम छोड़कर कभी डीएम तो कभी कोर्ट के चक्कर लगाते हैं.
70 साल की निशा गुप्ता का दर्द
निशा गुप्ता की उम्र सत्तर साल है. अधूरी पड़े फ्लैट्स के सामने ही वो किराए पर रहती हैं. अधूरे पड़े प्रोजेक्ट के सामने बिल्डर ने होम बायर्स को किराए पर फ्लैट्स मुहय्या कराए थे. लेकिन बीते तीन साल से बिल्डर ने न किराया दिया है न ही फ्लैट. कई लोगों की फ्लैट का इंतज़ार करते-करते मौत भी हो गई है. निशा गुप्ता कहती है, 'मेरी उम्र देखो बेटा, कितने दिन मुझे ज़िंदा रहना है, लेकिन लगता यही है कि मैं अपने फ्लैट् में इस जन्म में नहीं रह पाऊंगी.

देशभर में ऐसे बिल्डर लोगों के सपनों के साथ खेल रहे हैं. बिल्डर-बैंक-निगम अधिकारियों की मिलीभगत से खरीदारों को कोई राहत नहीं मिलती. EMI और किराया दोनों भरने के बावजूद खरीदारों को घर नहीं मिलता. RERA जैसा कानून होने के बावजूद कई बिल्डर नियमों का उल्लंघन कर बच निकलते हैं. एक अनुमान के मुताबिक़, अकेले ग्रेटर नोएडा में ही 50 हजार से ज़्यादा फ्लैट्स लोगों के फंसे हुए हैं. नोएडा अथॉरिटी पर अकेले 8 बिल्डरों का 1000 करोड़ रुपये से ज़्यादा का बकाया है. लेकिन भ्रष्ट अधिकारी और बिल्डर्स की सांठगांठ में लाखों होम बायर्स बुरी तरह फंस गए हैं.
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