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कैसे होगा मॉक ड्रिक... क्‍या है प्रक्रिया, NDRF के पूर्व डीजीपी ओपी सिंह ने NDTV को बताया

पब्लिक एड्रेस सिस्टम के जरिए सिविल डिफेंस और जिला पुलिस के अधिकारी आम लोगों को युद्ध से संभावित खतरे के प्रति आगाह करेंगे. साथ ही पूरे शहर में एक साथ मॉक ड्रिल नहीं होगा. पूरे शहर में एक साथ मॉक ड्रिल नहीं होगा. 

कैसे होगा मॉक ड्रिक... क्‍या है प्रक्रिया,  NDRF के पूर्व डीजीपी ओपी सिंह ने NDTV को बताया
IPS OP सिंह और रेस्क्यू करने के दौरान NDRF टीम की प्रतीकात्मक तस्वीर

मॉक अभ्यास आपदा से निपटने की तैयारी जांचने का एक महत्वपूर्ण तरीका है. सही तरीके से मॉक अभ्यास करने से देश में किसी भी तरह की आपदाओं से निपटने की हमारी तैयारी बेहतर होगी. उत्तर प्रदेश पुलिस के पूर्व डीजीपी और NDRF के प्रमुख रहे OP सिंह ने बताया कि हम खतरों को रोक नहीं सकते, लेकिन उन्हें आपदा बनने से रोक सकते हैं और अगर आपदा आती है, तो मानव जीवन और तमाम नुकसान को कम करने के लिए उपाय कर सकते हैं. इसलिए राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) इस महत्वपूर्ण उपकरण 'मॉक अभ्यास' का उपयोग समुदाय और स्थानीय प्रशासन को प्रशिक्षित करने और आपदाओं से निपटने के लिए तैयार करने में करता है.

मॉक ड्रिल के दौरान ध्यान देने वाली जरूरी बातें

  • मॉक ड्रिल का प्रोटोकॉल सिविल डिफेंस और लोकल पुलिस के अधिकारी तय करेंगे.
  • युद्ध के हालात के हिसाब से सिविल डिफेंस और स्थानीय पुलिस सायरन का प्रोटोकॉल तय करेंगे.
  • पब्लिक एड्रेस सिस्टम के जरिए सिविल डिफेंस और जिला पुलिस के अधिकारी आम लोगों को युद्ध से संभावित खतरे के प्रति आगाह करेंगे.
  • मॉक ड्रिल के दौरान अगर आप Car चला रहे हैं तो बेहतर होगा की गाड़ी रोककर बाहर आ जाएं.
  • मॉक ड्रिल के दौरान जरूरी सामानों की दुकान बंद नहीं होगी.
  • पूरे शहर में एक साथ मॉक ड्रिल नहीं होगा. 
  • पूरे शहर में एक साथ मॉक ड्रिल नहीं होगा. 
  • मॉक ड्रिल के दौरान फोन और इंटरनेट की सेवाएं बंद नहीं होगी.
  • ब्लैकआउट की मोडालिटीज क्या होगी ब्लैकआउट कितने लंबे समय तक रहेगा यह सिविल डिफेंस और जिला प्रशासन के अधिकारी तय करेंगे.
  • बड़े शहरों में घरों में बंकर नहीं होते. अगर पास में कहीं बेसमेंट हो तो वहां जाना सुरक्षित होगा.
  • बड़े शहरों में रेलवे स्टेशन, बस अड्डे, बड़े चौराहों और धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण जगहों पर पब्लिक एड्रेस सिस्टम लगे हुए हैं. Mock Drill के दौरान उनका इस्तेमाल करना होगा.

यूनिट कमांडेंट मॉक अभ्यास दो तरह से आयोजित करेंगे:

इन-हाउस मॉक अभ्यास:

यह अभ्यास केवल आयोजक संस्था/संगठन/उद्योग/विभाग/खतरनाक जगहों के दायरे में किया जाता है, जिसमें बाहरी एजेंसियों को शामिल नहीं किया जाता, सिवाय पर्यवेक्षक के. NDRF को केवल यूनिट के कर्मियों और संसाधनों के साथ 'इन-हाउस' मॉक अभ्यास की योजना करना होगा.  

आउट-हाउस मॉक अभ्यास:

यह अभ्यास बड़े स्तर पर किसी समुदाय में किया जाता है, जिसमें स्थानीय, जिला या राज्य स्तर की सभी आपातकालीन सेवा कार्यप्रणाली (ESFs) शामिल होती हैं. इसका उद्देश्य उनकी प्रतिक्रिया व्यवस्था की जांच करना और सभी एजेंसियों के मानक संचालन प्रक्रिया (SOPs) को अपडेट करना है. आपदा प्रबंधन अधिनियम-2005 के अनुसार, उप-मंडल/जिला स्तर के आपातकालीन संचालन केंद्र (EOC) और घटना प्रतिक्रिया प्रणाली (IRS) के नामित अधिकारी अपने-अपने दायित्व निभाएंगे. सभी एजेंसियां जिम्मेदार अधिकारी (IRO) के आदेशों का पालन करेंगी. इस दौरान स्थानीय NGO की भागीदारी भी सुनिश्चित की जाएगी.

Siren Protocol:

युद्ध के हालात के हिसाब से सिविल डिफेंस और स्थानीय पुलिस सायरन का प्रोटोकॉल तय करेंगे.

पब्लिक एड्रेस सिस्टम के जरिए  सिविल डिफेंस और जिला पुलिस के अधिकारी आम लोगों को यह मैसेज/संदेश दे सकते हैं: 

i) डरने की जरूरत नहीं है 

ii) सुरक्षित जगह पर चले जाएं 

iii) हम सब आपके साथ हैं!

वास्तविक मॉक अभ्यास के मुख्य चरण

अलार्म चरण (Alarm Phase): 

वास्तविक स्थिति के करीब परिदृश्य बनाया जाता है.  

जैसे ही 'आपदा' शुरू होती है, तेजी से निकासी के लिए चेतावनी सायरन बजाए जाते हैं.  

EOC के अधिकारियों को सूचित किया जाता है और समय नोट किया जाता है.

प्रतिक्रिया चरण (Response Phase):

चेतावनी मिलने से लेकर स्थिति नियंत्रण तक.  

लोग खुद को और दूसरों को बचाते हैं, आपातकालीन निकास करते हैं, और पीड़ितों को सुरक्षित स्थान पर ले जाते हैं.  

अग्निशमन, क्षेत्र की घेराबंदी, खोज और बचाव, प्राथमिक चिकित्सा, अस्पताल में स्थानांतरण, गिनती, और सुरक्षित स्थान पर पहुंचाना शामिल है.  

IRS के सभी घटक मानक के अनुसार काम करेंगे.  

निकासी, अग्निशमन, सुरक्षा, चिकित्सा, एम्बुलेंस, मीडिया, संचार आदि टीमें प्रभावी ढंग से काम करेंगी.

मूल्यांकन चरण (Evaluation Phase):

अभ्यास की निगरानी और मूल्यांकन जरूरी है.  

हितधारकों के साथ डी-ब्रीफिंग सत्र होगा, जिसमें ताकत, कमजोरियां, समस्याएं और समाधान चर्चा होंगे.  

सुझावों को आपदा प्रबंधन योजना में शामिल किया जाएगा.  

यूनिट कमांडेंट को मूल्यांकन प्रारूप तैयार करना होगा.  

फोटो, वीडियो और दस्तावेजीकरण भविष्य के लिए उपयोगी होंगे.

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