दिल्ली जिमखाना क्लब (Delhi Gymkhana Club) की पूर्व प्रबंधन समिति के सदस्यों ने राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (NCLT) के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें केंद्र सरकार (Central Government) को इस प्रतिष्ठित क्लब का नियंत्रण अपने हाथ में लेने की अनुमति दी गई है. मेजर अतुल देव और छह अन्य याचिकाकर्ताओं ने एनसीएलटी के इस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT) के सामने दायर की है.
अपीलीय न्यायाधिकरण की दो सदस्यीय पीठ ने इस याचिका पर कंपनी मामलों के मंत्रालय और अन्य के माध्यम से सरकार को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है. एनसीएलएटी के मुखिया न्यायमूर्ति अशोक भूषण और नरेश सालेचा की पीठ ने याचिकाकर्ताओं को दो सप्ताह के भीतर जरूरी होने पर प्रत्युत्तर दाखिल करने के लिए कहा है.
पिछले हफ्ते एनसीएलएटी ने सरकार को दिल्ली जिमखाना क्लब में उनके काम की स्थिति के बारे में एनसीएलटी के निर्देशानुसार रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था.
एनसीएलटी की दिल्ली पीठ ने बीते एक अप्रैल को पारित अपने आदेश में केंद्र सरकार को दिल्ली जिमखाना क्लब का प्रबंधन अपने हाथ में लेने की अनुमति दी थी. एनसीएलटी ने अपने आदेश में कहा था कि क्लब में कुप्रबंधन की स्थिति को लेकर पर्याप्त सामग्री मौजूद है. इसके साथ ही एनसीएलटी ने क्लब के मामलों के प्रभारी बनाए गए प्रशासक से ‘नए नियुक्त निदेशकों को आरोप तुरंत सौंपने' को कहा था.
एनसीएलटी ने कहा, ‘‘इस आदेश के तहत सरकार द्वारा नियुक्त सामान्य समिति के नए निदेशक क्लब का कार्यभार संभालने के तुरंत बाद इस न्यायाधिकरण के समक्ष रिपोर्ट दाखिल करेंगे.'' उसने सरकारी निदेशकों से तीन महीने में एक बार या जब भी जरूरी हो, रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था.
अप्रैल, 2020 में कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के जरिये सरकार ने कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 241 और 242 के तहत क्लब की सामान्य समिति को हटाने की मांग करते हुए मामला एनसीएलटी को स्थानांतरित कर दिया था.
दिल्ली जिमखाना क्लब को शुरू में खेल एवं मनोरंजन से संबंधित धारा 8 के तहत कंपनी के रूप में पंजीकृत किया गया था और उसे सरकार से पट्टे पर जमीन भी मिली थी. सरकार ने आरोप लगाया था कि समय के साथ यह क्लब अपने लक्ष्य से दूर जाने लगा.
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