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This Article is From Jun 14, 2023

यमुना साफ़ करने के लिए लाई गई भारतीय नौसेना की बोट गाद में नहीं फंसी, LG ने किया खबर का खंडन

उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने भारत की सबसे प्रदूषित नदियों में से एक में जमा हुए कचरे को निकालने के प्रयास में नौसेना की नाव मांगी थी.

यमुना साफ़ करने के लिए लाई गई भारतीय नौसेना की बोट गाद में नहीं फंसी, LG ने किया खबर का खंडन
यमुना में कई जगह दो मीटर पानी भी नहीं है
नई दिल्‍ली:

दिल्‍ली के उपराज्यपाल वीके सक्‍सेना का कहना है कि यमुना साफ़ करने के लिए लाई गई भारतीय नौसेना की बोट गाद में नहीं फंसी है. उपराज्यपाल कार्यालय ने उस खबर का खंडन किया, जिसमें कहा जा रहा है कि दिल्ली में यमुना नदी को साफ करने में मदद करने के लिए तैनात भारतीय नौसेना की एक नाव उसी सीवेज में फंस गई है, जिसे हटाने के लिए उसे लाया गया है. बयान में बताया गया कि बोट को सिग्‍नेचर ब्रिज के पास बांधा गया था. बता दें कि नौसेना की बोट 'बारासिंघा' को उपराज्यपाल के आग्रह पर यमुना के सफाई अभियान में शामिल किया गया है. 

उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने भारत की सबसे प्रदूषित नदियों में से एक में जमा हुए कचरे को निकालने के प्रयास में नौसेना की नाव मांगी है. यमुना से गाद निकालने का ये अभियान वजीराबाद से ओखाला तक 22 किलोमीटर की दूरी को कवर करेगा, जिसे सबसे गंदा और सबसे जहरीला हिस्सा माना जाता है. यमुना में एक अंतर्देशीय जलमार्ग स्थापित करने की योजना के बीच नाव का उद्देश्य सफाई की निगरानी करना भी था.

भारत की सबसे पवित्र नदियों में से एक मानी जाने वाली यमुना भी मानव गतिविधियों जैसे मृतकों की राख के विसर्जन, धार्मिक अनुष्ठानों, घरेलू कचरे और औद्योगिक अपशिष्टों के कारण सबसे अधिक प्रदूषित हो गई है.

सीवेज के कारण, नदी के कुछ हिस्‍से तो अक्सर मोटे सफेद झाग से ढक जाते हैं. ऐसा पानी किसी भी उपयोग में नहीं लाया जा सकता है. दिल्ली प्रदूषण पैनल की एक रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में यमुना को साफ करने के लिए 2017 और 2021 के बीच लगभग 6,856 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं, लेकिन नदी के बड़े हिस्से काफी प्रदूषित हैं.

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