राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) ने मतदान के लगातार बढ़ रहे स्तर की सराहना करते हुये शनिवार को कहा कि कुछ लोग अभी भी मताधिकार के महत्व को नहीं समझ पाये हैं. उन्होंने कहा कि जबकि तमाम देशों में मताधिकार के लिये लंबे समय तक संघर्ष करना पड़ा, वहीं भारत में यह अधिकार संविधान लागू किये जाने के साथ ही देश के सभी नागरिकों को मिल गया था. कोविंद ने 10वें राष्ट्रीय मतदाता दिवस (National Voters Day India) के अवसर पर निर्वाचन आयोग द्वारा आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुये हाल ही में अरुणाचल प्रदेश की 107 साल की मतदाता नाथूंग सावेन के अलावा सौ साल से अधिक उम्र के अन्य मतदाताओं का उदाहरण देते हुये कहा कि सभी मतदाताओं को इन बुजुर्ग मतदाताओं से प्रेरणा लेना चाहिये.
उन्होंने यूरोप सहित अन्य देशों की अपनी यात्राओं का जिक्र करते हुये कहा कि विश्व समुदाय में भारत की लोकतांत्रिक निर्वाचन प्रणाली विश्वसनीय होने के कारण इसे सम्मान की नजर से देखा जाता है. उन्होंने कहा, ‘‘पहले आम चुनाव से लेकर पिछले वर्ष संपन्न हुए 17वें आम चुनाव तक, भारत के मतदाताओं ने हमारे लोकतंत्र की साख पूरे विश्व में बढ़ाई है, लेकिन आज भी हमारे कुछ मतदाता अपने मताधिकार के महत्व को नहीं समझ पाते हैं. उन्हें यह मालूम होना चाहिए कि दुनिया के अधिकांश लोकतांत्रिक देशों में मताधिकार प्राप्त करने के लिए सामान्य लोगों को आंदोलन करने पड़े थे.''
राष्ट्रपति ने कहा कि आजादी के समय भारत में वयस्क मताधिकार दिये जाने पर दुनिया के तमाम देशों ने भारत में महज 16 प्रतिशत साक्षरता और गरीबी के मद्देनजर इसे जोखिम भरा फैसला बताते हुये इसके भविष्य पर आशंका के सवाल खड़े किये थे. उन्होंने कहा कि भारतीय मतदाताओं ने पिछले 70 सालों में इस आशंका को गलत साबित किया है. उन्होंने कहा कि इंग्लैंड जैसे पुराने लोकतंत्र में, महिलाओं को 20वीं सदी में लगभग तीन दशकों के लंबे संघर्ष के बाद पुरुषों के बराबर मताधिकार मिल पाया.
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत में संविधान निर्माताओं ने बिना किसी भेदभाव के, यह अमूल्य अधिकार सभी वयस्क देशवासियों को संविधान लागू होने के साथ ही दे दिया था. उल्लेखनीय है कि शनिवार को निर्वाचन आयोग का 71वां स्थापना दिवस भी होता है. इस अवसर पर कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा, चुनाव आयुक्त अशोक लवासा तथा सुशील चंद्रा के अलावा कई पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एवं चुनाव आयुक्त मौजूद थे.
राष्ट्रपति ने चुनाव को लोकतंत्र के महापर्व के रूप में मनाने के आयोग के प्रयासों की सराहाना करते हुये कहा कि ऐसा करने से मतदाताओं की चुनाव में भागीदारी को जवाबदेह बढ़ाने में मदद मिली है. उन्होंने पिछले लोकसभा चुनाव में महिला मतदाताओं की मतदान में पुरुषों के लगभग बराबर भागीदारी सुनिश्चित होने के लिये भी आयोग के ‘मतदाता जागरुकता अभियानों' को श्रेय दिया.
राष्ट्रपति कोविंद ने कहा, ‘‘मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि पिछले आम चुनाव में 17 राज्यों और छह केंद्र शासित प्रदेशों में महिलाओं का मत प्रतिशत पुरुषों से अधिक था.'' उन्होंने कहा कि लोकसभा के इतिहास में पहली बार सर्वाधिक संख्या में 78 महिला सांसदों का चुना जाना नए भारत की तस्वीर प्रस्तुत करता है.
इस अवसर पर पहली बार मतदाता बने छह नये मतदाताओं को मतदाता पहचान पत्र दिया गया. इनमें आसमां, कोमल और विधि गुप्ता ने महिलाओं की समान भागीदारी का प्रतिनिधित्व किया. राष्ट्रपति ने पिछले एक साल के दौरान मतदान को बढ़ाने और स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया संपन्न कराने में उल्लेखनीय योगदान के लिये विभिन्न श्रेणियों में लगभग 24 लोगों को पुरस्कृत भी किया.
पुरस्कार से नवाजे गये लोगों में सर्वश्रेष्ठ चुनाव प्रबंधन के लिये जम्मू कश्मीर में अनंतनाग के जिला निर्वाचन अधिकारी खालिद जहांगीर और मणिपुर के इंफाल की जिला निर्वाचन अधिकारी डा. रंगीताबाली वाईखोम को दिव्यांग मतदाताओं को बेहतर सुविधायें मुहैया कराने के उपाय सुनिश्चित करने के लिये सम्मानित किया गया.
जबकि हरियाणा में हिसार के जिला निर्वाचन अधिकारी अशोक कुमार मीणा को सूचना प्रौद्योगिकी के बेहतर इस्तेमाल के लिये तथा बिहार के अररिया जिले की पुलिस अधीक्षक सयाली एस धूराट को श्रेष्ठ सुरक्षा प्रबंधन के लिये सम्मानित किया गया.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं