राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने मंगलवार को दिल्ली हाईकोर्ट में कहा कि सोशल मीडिया पर एक नाबालिग लड़की को कथित रूप से धमकाने और प्रताड़ित करने के मामले में अभियोजन का सामना कर रहे फैक्ट चेकर वेबसाइट ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबेर के खिलाफ कोई संज्ञेय अपराध नहीं बनने की पुलिस की दलील गलत थी.
एनसीपीसीआर ने दावा किया कि दिल्ली पुलिस का रुख अधिकारियों के लापरवाह रवैये को दर्शाता है और हाईकोर्ट से पुलिस को मामले की गहन जांच करने और इसे प्राथमिकता से पूरा करने का निर्देश देने का आग्रह किया. इस मामले में अगली सुनवाई अब सात दिसंबर को होगी.
दिल्ली पुलिस ने 9 अगस्त, 2020 को एनसीपीसीआर से मिले एक शिकायत पर ट्विटर पर एक बच्ची को कथित रूप से धमकाने और प्रताड़ित करने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत जुबेर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी. एनसीपीसीआर की शिकायत में जुबेर द्वारा ट्विटर पर नाबालिग के पिता के साथ ऑनलाइन विवाद के दौरान साझा की गई लड़की और उसके पिता की तस्वीर का जिक्र है.
बाल अधिकार निकाय ने कहा कि पुलिस द्वारा मई में दी गई स्थिति रिपोर्ट से मिली जानकारी से स्पष्ट रूप से पता चलता है कि याचिकाकर्ता जुबेर जांच से बचने की कोशिश कर रहा है और पूरी तरह से सहयोग नहीं कर रहा है. उसने एक हलफनामे में कहा, "याचिकाकर्ता के तथ्यों को छिपाने की दुर्भावनापूर्ण मंशा स्पष्ट है जो इस मामले की जांच में गंभीर देरी का कारण बनती है. दिल्ली पुलिस द्वारा याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई संज्ञेय अपराध नहीं किए जाने के बारे में प्रतिवेदन करना भी गलत है और इस मामले में पुलिस के लापरवाह रवैये को दर्शाता है."
मामला एनसीपीसीआर की शिकायत पर दर्ज किया गया था, जिसके बाद जुबेर ने उसके खिलाफ प्राथमिकी रद्द करने की मांग करते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. जुबेर ने प्राथमिकी को निराधार करार दिया था.
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