प्रतीकात्मक चित्र
नई दिल्ली:
नासा (NASA) ने धरती के जल चक्र का पता लगाने के लिए दो विशेष अंतरिक्ष यानों का प्रक्षेपण किया है. ग्रैविटी रिकवरी एंड क्लाइमेट एक्सपेरिमेंट फॉलो - ऑन (ग्रेस - एफओ) के नाम से जाना जाने वाला यह मिशन वास्तव में नासा और जर्मन रिसर्च सेंटर फॉर जियोसाइंसेज (जीएफजेड) का एक संयुक्त मिशन है. गौरतलब है कि इन दोनों अंतरिक्ष यानों ने कैलिफोर्निया के वेंडनबर्ग एयरफोर्स बेस से स्पेसएक्स कंपनी के फॉल्कन 9 रॉकेट से उड़ान भरी. मिली जानकारी के अनुसार ये अंतरिक्ष यान 5 पांच इरिडियम नेक्स्ट संचार उपग्रहों के साथ रवाना किए गए हैं. उपग्रहों को नियंत्रित करने वाले ग्राउंड स्टेशनों ने ग्रेस - एफओ के दोनों अंतरिक्षयानों से सिग्नल प्राप्त कर लिए हैं.
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वैज्ञानिकों के अनुसार शुरुआती डेटा प्राप्ति की प्रक्रिया दर्शाती है कि ये उपग्रह उम्मीद के मुताबिक काम कर रहे हैं. नासा ने बताया कि ग्रेस - एफओ उपग्रह अभी करीब 490 किलोमीटर की दूरी पर हैं और प्रति सेकेंड 7.5 किलोमीटर का सफर तय कर रहा है. इसके अलावा वह एक ध्रुवीय कक्षा में है जहां वह प्रत्येक 90 मिनट में धरती का चक्कर लगा रहे हैं. नासा के साइंस मिशन निदेशालय के सहयोगी प्रशासक थॉमस जुरबुकेन ने कहा कि ग्रेस - एफओ यह जानने में मदद करेगा कि हमारा जटिल ग्रह कैसे काम करता है.
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उन्होंने कहा कि यह बहुत जरूरी है क्योंकि इस मिशन के जरिए धरती के जल चक्र के कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर नजर रखी जाएगी. ग्रेस - एफओ के डेटा का इस्तेमाल विश्वभर के लोगों के जीवन में सुधार लाने के लिए किया जाएगा. इससे सूखे के दुष्प्रभावों का बेहतर पूर्वानुमान लगाने से लेकर जल प्रबंधन एवं प्रयोग की उच्च - गुणवत्ता की जानकारी जुटाई जा सकेगी.
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खास बात यह है कि यह मिशन 5 साल का है. इस मिशन में ग्रेस - एफओ हमारे ग्रह के इर्द गिर्द मौजूद पिंडों की गतिविधियों पर नजर रखेगा. (इनपुट भाषा से)
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वैज्ञानिकों के अनुसार शुरुआती डेटा प्राप्ति की प्रक्रिया दर्शाती है कि ये उपग्रह उम्मीद के मुताबिक काम कर रहे हैं. नासा ने बताया कि ग्रेस - एफओ उपग्रह अभी करीब 490 किलोमीटर की दूरी पर हैं और प्रति सेकेंड 7.5 किलोमीटर का सफर तय कर रहा है. इसके अलावा वह एक ध्रुवीय कक्षा में है जहां वह प्रत्येक 90 मिनट में धरती का चक्कर लगा रहे हैं. नासा के साइंस मिशन निदेशालय के सहयोगी प्रशासक थॉमस जुरबुकेन ने कहा कि ग्रेस - एफओ यह जानने में मदद करेगा कि हमारा जटिल ग्रह कैसे काम करता है.
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उन्होंने कहा कि यह बहुत जरूरी है क्योंकि इस मिशन के जरिए धरती के जल चक्र के कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर नजर रखी जाएगी. ग्रेस - एफओ के डेटा का इस्तेमाल विश्वभर के लोगों के जीवन में सुधार लाने के लिए किया जाएगा. इससे सूखे के दुष्प्रभावों का बेहतर पूर्वानुमान लगाने से लेकर जल प्रबंधन एवं प्रयोग की उच्च - गुणवत्ता की जानकारी जुटाई जा सकेगी.
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खास बात यह है कि यह मिशन 5 साल का है. इस मिशन में ग्रेस - एफओ हमारे ग्रह के इर्द गिर्द मौजूद पिंडों की गतिविधियों पर नजर रखेगा. (इनपुट भाषा से)