कोच्चि:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि हम पाकिस्तान के साथ बातचीत कर नया इतिहास बनाना चाहते हैं, ताकि आतंकवाद को खत्म किया जा सके और दोनों देशों के बीच शांतिपूर्ण संबध स्थापित किए जा सकें। कोच्चि के निकट अरब सागर में संयुक्त कमांडर्स कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि हम पाकिस्तान के इरादों को परखना तो चाहते हैं, लेकिन अपनी सुरक्षा तैयारियों में हमें कोई ढील नहीं देनी है।
हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान का नाम नहीं लिया, लेकिन कहा कि जिस तरह हमारे पड़ोस में परमाणु हथियारों का जखीरा तैयार किया जा रहा है, वह बेहद चिंता का विषय है। पीएम ने भारतीय सेना को आगाह करते हुए कहा कि हमारी पुरानी दुश्मनी साइबर और अंतरिक्ष जैसे युद्ध के नए मैदानों में देखी जा सकती है।
चीन को लेकर पीएम ने कहा कि हमारे रिश्ते उनके साथ लगातार बेहतर और मजबूत हो रहे हैं, लेकिन सीमा पर अतिक्रमण (घुसपैठ) और चीनी सेना का आधुनिकीकरण और तेजी से होता विस्तार चिंता का विषय है। पश्चिम एशिया में अस्थिरता हमारे लिए भी खतरा हो सकती है। भले ही दुनियाभर में आतंकवाद और कट्टरता बढ़ रही है, लेकिन इन सबके बीच इस्लामिक देशों सहित दुनियाभर के देश हमसे सहयोग भी मांग रहे हैं।
पीएम ने सेना को सावधान करते हुए कहा कि हमें ऐसे हालात के लिए तैयार रहना चाहिए, जहां लड़ाई बेहद जल्दी जीती (swift war) जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि हमें संख्याबल की जगह तकनीक पर ज्यादा भरोसा करना चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चेन्नई में बाढ़ पीड़ितों और नेपाल आपदा के दौरान और यमन में फंसे भारतीयों को निकालने के लिए सेना को बधाई भी दी।
कॉन्फ्रेंस कोच्चि से करीब 100 किलोमीटर दूर अरब सागर में नौसेना के आधुनिकतम विमानवाहक युद्धपोत आईएनएस विक्रमादित्य पर हुई। यह पहला मौका था, जब रक्षामंत्री और तीनों सेनाओं के प्रमुखों सहित टॉप कमांडरों का यह सम्मेलन राजधानी दिल्ली से बाहर समुद्र में हुआ। सम्मेलन राजधानी दिल्ली से बाहर इसलिए करवाया गया, क्योंकि पिछली कमांडर्स कॉन्फ्रेंस में खुद पीएम ने सेनाओं को सलाह दी थी कि इस तरह की महत्वपूर्ण मीटिंग ऑपरेशनल इलाकों और युद्धपोतों पर होनी चाहिए।
सम्मेलन में रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर, तीनों सेनाओं के प्रमुख, एनएसए अजीत डोभाल और रक्षा सचिव सहित सेना के सभी टॉप कमांडर मौजूद थे। सम्मेलन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने नौसेना ने शक्ति प्रदर्शन भी किया, जिसमें विमानवाहक युद्धपोत पर लड़ाकू विमान मिग-29-के का टेक-ऑफ और लैंडिग दिखाया गया। शक्ति प्रदर्शन में नौसेना के दूसरे युद्धपोत आईएनएस विराट सहित करीब एक दर्जन युद्धपोतों ने हिस्सा लिया।
हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान का नाम नहीं लिया, लेकिन कहा कि जिस तरह हमारे पड़ोस में परमाणु हथियारों का जखीरा तैयार किया जा रहा है, वह बेहद चिंता का विषय है। पीएम ने भारतीय सेना को आगाह करते हुए कहा कि हमारी पुरानी दुश्मनी साइबर और अंतरिक्ष जैसे युद्ध के नए मैदानों में देखी जा सकती है।
चीन को लेकर पीएम ने कहा कि हमारे रिश्ते उनके साथ लगातार बेहतर और मजबूत हो रहे हैं, लेकिन सीमा पर अतिक्रमण (घुसपैठ) और चीनी सेना का आधुनिकीकरण और तेजी से होता विस्तार चिंता का विषय है। पश्चिम एशिया में अस्थिरता हमारे लिए भी खतरा हो सकती है। भले ही दुनियाभर में आतंकवाद और कट्टरता बढ़ रही है, लेकिन इन सबके बीच इस्लामिक देशों सहित दुनियाभर के देश हमसे सहयोग भी मांग रहे हैं।
पीएम ने सेना को सावधान करते हुए कहा कि हमें ऐसे हालात के लिए तैयार रहना चाहिए, जहां लड़ाई बेहद जल्दी जीती (swift war) जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि हमें संख्याबल की जगह तकनीक पर ज्यादा भरोसा करना चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चेन्नई में बाढ़ पीड़ितों और नेपाल आपदा के दौरान और यमन में फंसे भारतीयों को निकालने के लिए सेना को बधाई भी दी।
कॉन्फ्रेंस कोच्चि से करीब 100 किलोमीटर दूर अरब सागर में नौसेना के आधुनिकतम विमानवाहक युद्धपोत आईएनएस विक्रमादित्य पर हुई। यह पहला मौका था, जब रक्षामंत्री और तीनों सेनाओं के प्रमुखों सहित टॉप कमांडरों का यह सम्मेलन राजधानी दिल्ली से बाहर समुद्र में हुआ। सम्मेलन राजधानी दिल्ली से बाहर इसलिए करवाया गया, क्योंकि पिछली कमांडर्स कॉन्फ्रेंस में खुद पीएम ने सेनाओं को सलाह दी थी कि इस तरह की महत्वपूर्ण मीटिंग ऑपरेशनल इलाकों और युद्धपोतों पर होनी चाहिए।
सम्मेलन में रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर, तीनों सेनाओं के प्रमुख, एनएसए अजीत डोभाल और रक्षा सचिव सहित सेना के सभी टॉप कमांडर मौजूद थे। सम्मेलन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने नौसेना ने शक्ति प्रदर्शन भी किया, जिसमें विमानवाहक युद्धपोत पर लड़ाकू विमान मिग-29-के का टेक-ऑफ और लैंडिग दिखाया गया। शक्ति प्रदर्शन में नौसेना के दूसरे युद्धपोत आईएनएस विराट सहित करीब एक दर्जन युद्धपोतों ने हिस्सा लिया।
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