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This Article is From Oct 13, 2023

फाइबरनेट मामले में नायडू को 18 अक्टूबर तक गिरफ्तार नहीं किया जायेगा: आंध्र पुलिस ने न्यायालय से कहा

लूथरा ने कहा कि राज्य पुलिस के आवेदन पर निचली अदालत ने पेशी वारंट जारी कर तेदेपा प्रमुख को 16 अक्टूबर को उसके सामने पेश होने के लिए कहा था और नायडू को अब आशंका है कि उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है. न्यायमूर्ति त्रिवेदी ने लूथरा से पूछा कि क्या इस मामले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17ए भी शामिल है.

फाइबरनेट मामले में नायडू को 18 अक्टूबर तक गिरफ्तार नहीं किया जायेगा: आंध्र पुलिस ने न्यायालय से कहा

नई दिल्ली: आंध्र प्रदेश पुलिस ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि कौशल विकास निगम घोटाले से संबंधित मामला शीर्ष अदालत में लंबित होने के कारण वह फाइबरनेट मामले में तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के प्रमुख एन. चंद्रबाबू नायडू को 18 अक्टूबर तक गिरफ्तार नहीं करेगी. आंध्र प्रदेश सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी की पीठ को बताया कि राज्य इस मामले में निचली अदालत से स्थगन का अनुरोध करेगा, जहां नायडू को 16 अक्टूबर को पेश किया जाना है.

विजयवाड़ा में विशेष भ्रष्टाचार रोधी ब्यूरो की अदालत ने 12 अक्टूबर को पेशी वारंट जारी किया था और राज्य पुलिस से नायडू को 16 अक्टूबर को उसके सामने पेश करने को कहा है. पीठ ने नायडू की नई याचिका पर राज्य सरकार को नोटिस जारी किया, जिसमें आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने उच्च न्यायालय के नौ अक्टूबर के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें फाइबरनेट मामले में उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी.

नायडू ने अपनी याचिका में कहा है कि उन्हें 16 अक्टूबर को अदालत में पेशी के बाद अपनी गिरफ्तारी की आशंका है. फाइबरनेट मामला अपनी पसंद की कंपनी को 330 करोड़ रुपये की ‘एपी फाइबरनेट' परियोजना के चरण-1 के तहत कार्य आदेश आवंटित करने में निविदा में कथित हेरफेर से संबंधित है.

अपराध जांच विभाग (सीआईडी) ने आरोप लगाया कि निविदा आवंटित करने से लेकर पूरी परियोजना को पूरा करने तक अनियमितताएं हुईं, जिससे राज्य के खजाने को भारी नुकसान हुआ. नायडू की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री को एक मामले (कौशल विकास घोटाला मामले) में फंसाने के बाद, राज्य सरकार ने उन्हें अलग-अलग प्राथमिकी में नामित किया है.

लूथरा ने कहा, ‘‘एक बार जब उन्होंने उन्हें एक मामले में गिरफ्तार कर लिया, तो उन्होंने उन्हें अन्य मामलों में फंसाना शुरू कर दिया ताकि वह जेल से बाहर न आ सके. फाइबरनेट मामले में 2021 में प्राथमिकी दर्ज हुई लेकिन इसके बाद कुछ नहीं हुआ. अब, 19 सितंबर को, उन्होंने उनका नाम प्राथमिकी में जोड़ा और निचली अदालत के समक्ष एक आवेदन दायर किया.''

लूथरा ने कहा कि राज्य पुलिस के आवेदन पर निचली अदालत ने पेशी वारंट जारी कर तेदेपा प्रमुख को 16 अक्टूबर को उसके सामने पेश होने के लिए कहा था और नायडू को अब आशंका है कि उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है. न्यायमूर्ति त्रिवेदी ने लूथरा से पूछा कि क्या इस मामले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17ए भी शामिल है.

लूथरा ने जवाब दिया कि फाइबरनेट मामले में धारा 17ए की प्रयोज्यता का बड़ा प्रश्न भी शामिल है. उन्होंने कहा, ‘‘इस मामले में तीन लोगों को पहले ही अग्रिम जमानत मिल चुकी है और तीन नियमित जमानत पर हैं, जबकि अन्य की गिरफ्तारी नहीं हुई है. अब, ये मामले के तथ्य हैं, तो उन्हें (नायडू) हिरासत में लेने का सवाल ही कहां उठता है.''

लूथरा ने कहा कि यदि अदालत उन्हें संरक्षण नहीं देती है या पेशी वारंट को स्थगित नहीं करती है और पुलिस उन्हें 16 अक्टूबर को गिरफ्तार करती है, तो नायडू की अग्रिम जमानत याचिका निरर्थक हो जाएगी. रोहतगी ने इस दलील पर आपत्ति जताई और पूछा कि क्योंकि निचली अदालत ने नायडू को तलब किया है, तो पेशी आदेश को कैसे स्थगित रखा जा सकता है?

पीठ ने रोहतगी से कहा, ‘‘हम फिलहाल अग्रिम जमानत याचिका पर कोई आदेश पारित नहीं कर रहे हैं और केवल नोटिस जारी कर रहे हैं. मंगलवार तक, आप उन्हें गिरफ्तार नहीं करें. आप निचली अदालत को बताएं, आप उन्हें मंगलवार तक गिरफ्तार नहीं कर रहे हैं.'' रोहतगी ने निर्देश लेने के बाद कहा कि आंध्र प्रदेश पुलिस 18 अक्टूबर तक नायडू को गिरफ्तार नहीं करेगी और 16 अक्टूबर को निचली अदालत के समक्ष स्थगन का अनुरोध करेगी.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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