सुप्रीम कोर्ट ने मुजफ्फरनगर के दंगा पीड़ितों के राहत शिविरों में 40 से अधिक बच्चों की मौत की घटना का संज्ञान लेते हुए सर्दी को देखते हुए इस मामले में तत्काल उचित कदम उठाने का उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया।
शीर्ष अदालत ने एक याचिका में मीडिया आधारित इस 'गंभीर' रिपोर्ट की सच्चाई का पता लगाने का निर्देश राज्य सरकार को दिया। न्यायालय ने कहा कि राहत और पुनर्वास के लिए पर्याप्त कदम उठाने संबंधी उसके निर्देशों के बावजूद बच्चों की मौत की घटनाएं हुईं हैं, जिनकी वजह से संसद में भी 10 दिसंबर को हंगामा हुआ।
प्रधान न्यायाधीश पी सदाशिवम, न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई और न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की तीन-सदस्यीय खंडपीठ ने कहा, हमने राहत शिविरों में बच्चों की मौत के बारे में समाचार पत्रों में पढ़ा। बच्चों की मृत्यु के बारे में संसद में भी चर्चा हुई। यह गंभीर मसला है।
न्यायाधीशों ने कहा, हमने राहत शिविरों में पर्याप्त बंदोबस्त करने का निर्देश दिया था, लेकिन इसके बावजूद यह सब हो रहा है। न्यायाधीशों ने बच्चों सहित सभी प्रभावित लोगों के लिए तत्काल सभी आवश्यक कदम उठाने का निर्देश राज्य सरकार को दिया। न्यायालय ने कहा, हम राज्य सरकार को बच्चों की मौत की खबरों की सच्चाई का पता लगाने और इस संबंध में 21 जनवरी को रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश देते हैं। याचिका में किए गए गंभीर प्रकथन के मद्देनजर राज्य सरकार को शुक्रवार सुबह से ही सभी प्रभावित लोगों को चिकित्सा सुविधा सहित सारे आवश्यक उपाय करने का निर्देश दिया जाता है।
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने कहा कि अधिकारियों की कथित लापरवाही को लेकर प्रशासन गंभीर हैं और वे इस ओर ध्यान देंगे, क्योंकि यह आश्रय के अधिकार से जुड़ा मसला है।
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