मुंबई पुलिस की पिटाई से घायल आसिफ शेख।
मुंबई:
मुंबई के दो युवकों ने बांद्रा पुलिस थाने के अफसरों पर उन्हें बिना किसी अपराध के थाने ले जाकर बेरहमी से मारने का आरोप लगाया है। युवकों का कहना है कि जब वे सड़क पर नशे की हालात में धुत दो आदमियों की मदद करने की कोशिश कर रहे थे तब उन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। दूसरी तरफ पुलिस का कहना है कि उसे युवकों के आतंकवादी होने का शक था।
नशेड़ियों को सड़क से हटाते समय गिरफ्तार
19 साल के आसिफ के शरीर के जख्म पुलिस की बर्बरता की निशानी माने जा रहे हैं। उसका कहना है कि वह और उसका दोस्त दानिश शुक्रवार को बांद्रा से अपने घर जा रहे थे। रास्ते में उन्होंने सड़क पर दो आदमियों को नशे की हालत में गिरा हुआ देखा। दोनों दोस्त उसे रास्ते से हटाने लगे। इतने में पुलिस आई और उन्हें गिरफ्तार कर लिया।
थाने में पिटाई, फोन नहीं करने दिया
आसिफ शेख ने कहा, 'हमे पुलिस स्टेशन ले जाकर बहुत मारा गया। पुलिस वालों ने हमसे कहा कि पाकिस्तान चले जाओ। उन्होंने हमे अपने घर फोन भी नहीं करने दिया।' आसिफ के मुताबिक पूरी रात उन्हें मारा गया। जब ड्यूटी ऑफिसर बदला तब कहीं जाकर उन्हें इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया। आसिफ के घर वालों का कहना है कि इस मामले को दो दिन हो गए हैं और अब तक आरोपी अफसर के खिलाफ उनकी एफआईआर दर्ज नहीं की गई है।
पुलिस के पास कोई संतोषजनक जवाब नहीं
दूसरी तरफ पुलिस की कहानी बिलकुल अलग है। उसका कहना है कि उन्हें लड़कों के आतंकवादी होने का शक था इसलिए उन्हें गिरफ्तार किया गया था। इस पूरे मामले में NDTV ने पुलिस अधिकारियों से बात करने की कोशिश की। सभी से दो टूक जवाब मिला कि मामले की जांच हो रही है। इन लड़कों द्वारा लगाए गए आरोपों में कितनी सच्चाई है, किस आधार पर पुलिस ने उन्हें आतंकवादी मान कर गिरफ्तार किया और अगर पुलिस वाले दोषी पाए गए तो उन पर क्या और कब कार्रवाई होगी, इस पर पुलिस कुछ कहने को तैयार नहीं है।
नशेड़ियों को सड़क से हटाते समय गिरफ्तार
19 साल के आसिफ के शरीर के जख्म पुलिस की बर्बरता की निशानी माने जा रहे हैं। उसका कहना है कि वह और उसका दोस्त दानिश शुक्रवार को बांद्रा से अपने घर जा रहे थे। रास्ते में उन्होंने सड़क पर दो आदमियों को नशे की हालत में गिरा हुआ देखा। दोनों दोस्त उसे रास्ते से हटाने लगे। इतने में पुलिस आई और उन्हें गिरफ्तार कर लिया।
थाने में पिटाई, फोन नहीं करने दिया
आसिफ शेख ने कहा, 'हमे पुलिस स्टेशन ले जाकर बहुत मारा गया। पुलिस वालों ने हमसे कहा कि पाकिस्तान चले जाओ। उन्होंने हमे अपने घर फोन भी नहीं करने दिया।' आसिफ के मुताबिक पूरी रात उन्हें मारा गया। जब ड्यूटी ऑफिसर बदला तब कहीं जाकर उन्हें इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया। आसिफ के घर वालों का कहना है कि इस मामले को दो दिन हो गए हैं और अब तक आरोपी अफसर के खिलाफ उनकी एफआईआर दर्ज नहीं की गई है।
पुलिस के पास कोई संतोषजनक जवाब नहीं
दूसरी तरफ पुलिस की कहानी बिलकुल अलग है। उसका कहना है कि उन्हें लड़कों के आतंकवादी होने का शक था इसलिए उन्हें गिरफ्तार किया गया था। इस पूरे मामले में NDTV ने पुलिस अधिकारियों से बात करने की कोशिश की। सभी से दो टूक जवाब मिला कि मामले की जांच हो रही है। इन लड़कों द्वारा लगाए गए आरोपों में कितनी सच्चाई है, किस आधार पर पुलिस ने उन्हें आतंकवादी मान कर गिरफ्तार किया और अगर पुलिस वाले दोषी पाए गए तो उन पर क्या और कब कार्रवाई होगी, इस पर पुलिस कुछ कहने को तैयार नहीं है।
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