मुंबई का केईएम अस्पताल।
मुंबई:
मुंबई के केईएम अस्पताल के 800 डॉक्टर शुक्रवार को सुबह हड़ताल पर चले गए। 3 साल के डेंगू पीड़ित बच्चे की मौत के बाद गुस्साए रिश्तेदारों ने तीन रेजिडेंट डॉक्टरों पर हमला किया। इनमें से दो डॉक्टर गंभीर रूप से घायल हुए। इसके बाद शुरू हुई इस हड़ताल को महाराष्ट्र भर के रेजिडेंट डॉक्टरों ने काले रिबन बांधकर समर्थन दिया।
डेंगू से तीन साल के बच्चे की मौत
तीन साल के अबु सुफियान की मां को जरा भी अंदाजा नहीं था कि ईद के दिन ही उसके बेटे की मौत हो जाएगी। सलमा बेगम के बेटे को डेंगू था। उसे गंभीर हालात में अस्पताल लाया गया, और वह बच नहीं सका। परिवार ने डॉक्टरों पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया। सलमा बेगम ने कहा कि उसके बच्चे का इलाज नहीं किया गया। उसे ICU में भर्ती नहीं किया किया गया।
बच्चे के रिश्तेदारों ने किया डॉक्टरों पर हमला
रेजिडेंट डॉक्टरों का कहना है कि सलमा के रिश्तेदारों ने डॉक्टरों पर हमला किया। सिक्यूरिटी गार्ड के हाथ से छीने गए लोहे के सरिये हथियार बने और 2 डॉक्टरों को गंभीर चोटें आईं। रेजिडेंट डॉक्टर अजीत साथी ने बताया कि, 'बच्चे की तबियत बहुत ज्यादा खराब थी। आईसीयू में जगह नहीं थी। हमने उसके रिश्तेदारों को समझाया। उन्होंने बच्चे को जनरल वार्ड में ही भर्ती कर देने को कहा। उन्होंने हाई रिस्क कंसेंट लैटर भी साइन किया, पर बच्चे के खून का रिसाव बहुत ज्यादा हो चुका था और बच्चे की मौत हो गई। उसके गुस्साए रिश्तेदारों ने हमला किया।'
अस्पताल में सुरक्षा व्यवस्था नाकाफी
डॉक्टरों का हड़ताल पर जाना कोई नई बात नहीं है और डॉक्टरों की सुरक्षा की मांग भी नई नहीं है। मेडिकल एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स की अध्यक्ष डॉ सागर मुंदादा ने कहा कि सभी अस्पतालों, खासकर केईएम अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था बेहद चिंताजनक है। यहां 145 सीसीटीवी की जरूरत है लेकिन सिर्फ 10 ही हैं और सिक्यूरिटी गार्ड भी बेहद कम हैं।
डॉक्टरों की नाराज़गी अस्पताल प्रशासन से भी है। हादसे के घंटों बाद भी कोई घायल डॉक्टरों की सुध लेने के लिए नहीं आया। एफआईआर करने में अस्पताल प्रशासन को 12 घंटे से ज्यादा वक्त लगा। डीन डॉ अविनाश सूपे ने कहा कि इस मामले में एफआईआर दर्ज करा दी गई और 2 लोगों को गिरफ्तार किया गया।
जुलाई के पहले हफ्ते में भी रेजिडेंट डॉक्टरों की इसी तरह की हड़ताल हुई थी। सुरक्षा इसमें बड़ा मुद्दा था। हड़ताल कर रहे डॉक्टरों को लिखित आश्वासन भी दिए गए थे, लेकिन हालात अब भी वैसे के वैसे ही हैं। इस बार डॉक्टरों का कहना है कि जब तक उनकी मांगों को माना नहीं जाएगा वे हड़ताल वापस नहीं लेंगे।
डेंगू से तीन साल के बच्चे की मौत
तीन साल के अबु सुफियान की मां को जरा भी अंदाजा नहीं था कि ईद के दिन ही उसके बेटे की मौत हो जाएगी। सलमा बेगम के बेटे को डेंगू था। उसे गंभीर हालात में अस्पताल लाया गया, और वह बच नहीं सका। परिवार ने डॉक्टरों पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया। सलमा बेगम ने कहा कि उसके बच्चे का इलाज नहीं किया गया। उसे ICU में भर्ती नहीं किया किया गया।
बच्चे के रिश्तेदारों ने किया डॉक्टरों पर हमला
रेजिडेंट डॉक्टरों का कहना है कि सलमा के रिश्तेदारों ने डॉक्टरों पर हमला किया। सिक्यूरिटी गार्ड के हाथ से छीने गए लोहे के सरिये हथियार बने और 2 डॉक्टरों को गंभीर चोटें आईं। रेजिडेंट डॉक्टर अजीत साथी ने बताया कि, 'बच्चे की तबियत बहुत ज्यादा खराब थी। आईसीयू में जगह नहीं थी। हमने उसके रिश्तेदारों को समझाया। उन्होंने बच्चे को जनरल वार्ड में ही भर्ती कर देने को कहा। उन्होंने हाई रिस्क कंसेंट लैटर भी साइन किया, पर बच्चे के खून का रिसाव बहुत ज्यादा हो चुका था और बच्चे की मौत हो गई। उसके गुस्साए रिश्तेदारों ने हमला किया।'
अस्पताल में सुरक्षा व्यवस्था नाकाफी
डॉक्टरों का हड़ताल पर जाना कोई नई बात नहीं है और डॉक्टरों की सुरक्षा की मांग भी नई नहीं है। मेडिकल एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स की अध्यक्ष डॉ सागर मुंदादा ने कहा कि सभी अस्पतालों, खासकर केईएम अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था बेहद चिंताजनक है। यहां 145 सीसीटीवी की जरूरत है लेकिन सिर्फ 10 ही हैं और सिक्यूरिटी गार्ड भी बेहद कम हैं।
डॉक्टरों की नाराज़गी अस्पताल प्रशासन से भी है। हादसे के घंटों बाद भी कोई घायल डॉक्टरों की सुध लेने के लिए नहीं आया। एफआईआर करने में अस्पताल प्रशासन को 12 घंटे से ज्यादा वक्त लगा। डीन डॉ अविनाश सूपे ने कहा कि इस मामले में एफआईआर दर्ज करा दी गई और 2 लोगों को गिरफ्तार किया गया।
जुलाई के पहले हफ्ते में भी रेजिडेंट डॉक्टरों की इसी तरह की हड़ताल हुई थी। सुरक्षा इसमें बड़ा मुद्दा था। हड़ताल कर रहे डॉक्टरों को लिखित आश्वासन भी दिए गए थे, लेकिन हालात अब भी वैसे के वैसे ही हैं। इस बार डॉक्टरों का कहना है कि जब तक उनकी मांगों को माना नहीं जाएगा वे हड़ताल वापस नहीं लेंगे।
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