
- MP हाईकोर्ट ने निलंबन पर लगाई रोक
- नोटबुक पर छपी थी सावरकर की तस्वीर
- राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत हो चुके हैं प्रिंसिपल
बीते दिनों मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के रतलाम में राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत सरकारी स्कूल के प्रिंसिपल आरएन केरावत (RN Kerawat) को निलंबित करने के मामले ने तूल पकड़ा था. उन्हें यह सजा स्कूल में स्वयंसेवी संगठन की नोटबुक बांटने की मुहिम को इजाजत देने पर मिली थी. दरअसल उन नोटबुक पर विनायक दामोदर सावरकर (Vinayak Damodar Savarkar) की तस्वीर छपी थी. 13 जनवरी को उन्हें सस्पेंड किया गया. जिसके बाद केरावत ने अपने निलंबन के खिलाफ हाईकोर्ट (MP High Court) का दरवाजा खटखटाया. हाईकोर्ट से उन्हें राहत मिली और अदालत ने उनके निलंबन पर रोक लगा दी.
हाईकोर्ट में सिंगल जज जस्टिस एससी शर्मा की बेंच ने आरएन केरावत के निलंबन पर रोक लगाने का आदेश दिया. जस्टिस शर्मा ने सुनवाई के दौरान कहा कि राज्य सरकार की पैरवी कर रहे वकील ने बताया कि प्रधानाचार्य के निलंबन का आदेश एक अपील योग्य आदेश है, लेकिन तथ्य यह है कि याचिकाकर्ता को केवल इसलिए निलंबित कर दिया गया है क्योंकि एक एनजीओ द्वारा स्कूल में एक स्वतंत्रता सेनानी की तस्वीरों वाली नोटबुक को वितरित किया गया था. प्रथम दृष्टया, यह आदेश कानूनन गलत जान पड़ता है. अगर स्वतंत्रता सेनानी की तस्वीरों वाली नोटबुक वितरित की गई है तो यह निश्चित रूप से कोई गुनाह नहीं है.
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बताते चलें कि इस मामले में जिला शिक्षा अधिकारी केसी शर्मा ने कहा था, 'प्रिंसिपल का किस आधार पर निलंबन किया गया है ये मुझे पता नहीं, लेकिन बिना अनुमति कार्यक्रम आयोजित किया गया था. इसकी जानकारी भोपाल से कलेक्टर के पास आई थी.' गौरतलब है कि साल 2010 में उत्कृष्ट शिक्षक का राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त प्राचार्य आरएन केरावत गणित के विशेषज्ञ हैं. वह राज्य स्तर पर भी राज्यपाल की ओर से सम्मानित हो चुके हैं. खास बात यह है कि शासन के मिशन समर्थ अभियान में एलईडी के माध्यम से केरावत के 36 वीडियो से ही 25 स्कूलों में पढ़ाया जा रहा है.
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