केरल के मलप्पुरम की एक 42 वर्षीय महिला और उसके 24 वर्षीय बेटे ने लोक सेवा आयोग (PSC) की परीक्षा एक साथ पास की है. "हम एक साथ कोचिंग क्लास में गए. मेरी माँ ने मुझे इसमें शामिल होने के लिए प्रेरित किया और मेरे पिता ने हमारे लिए सभी सुविधाओं की व्यवस्था की. हमें अपने शिक्षकों से बहुत प्रेरणा मिली. हम दोनों ने एक साथ पढ़ाई की लेकिन कभी नहीं सोचा था कि हम एक साथ क्वालीफाई करेंगे. हम दोनों हैं बहुत खुश," ANI समाचार एजेंसी से बात करते हुए बेटे विवेक ने कहा.
Kerala | A 42-year-old mother and her 24 years old son from Malappuram have cleared Public Service Commission (PSC) examination together pic.twitter.com/BlBKYJiDHh
— ANI (@ANI) August 10, 2022
जब उनका बेटा 10वीं कक्षा में था तो बिंदू ने उसे प्रोत्साहित करने के लिए किताबें पढ़ाना शुरू किया. लेकिन साथ साथ वो भी खुद ही केरल पीएससी परीक्षा के लिए तैयारी करने लग गईं. नौ वर्षों के अंदर ही वे और उनका बेटा एक साथ सरकारी नौकरी करने के लिए तैयार हैं.
बिंदू ने लोअर डिवीजनल क्लर्क (एलडीसी) की परीक्षा 38 रैंक के साथ पास की, जबकि उनके बेटे ने 92 रैंक के साथ लास्ट ग्रेड सर्वेंट्स (एलजीएस) की परीक्षा पास की. बिंदु ने इससे पहले इन परीक्षाओं में तीन बार प्रयास किए थे. यह उनका चौथ प्रयास था जो सफल रहा.
"We went together to coaching classes. My mother brought me to this and my father arranged all facilities for us. We got a lot of motivation from our teachers. We both studied together but never thought that we'll qualify together. We're both very happy," said Vivek, son of Bindu pic.twitter.com/2qu23d0IHX
— ANI (@ANI) August 10, 2022
उसने पिछले 10 साल आंगनबाडी केंद्र में बच्चों को पढ़ाया. बिंदु ने कहा कि उसके दोस्त, उसका बेटा और उसके कोचिंग सेंटर के प्रशिक्षक इस सफर में लगातार उनका साथ देते रहे.
उन्होंने कहा कि एक पीएससी उम्मीदवार को क्या होना चाहिए और क्या नहीं, इसका वह आदर्श उदाहरण हैं. इससे उसका मतलब था कि वह लगातार पढ़ाई नहीं करती थी. परीक्षा की तारीख से छह महीने पहले उसने पढ़ना शुरू किया. उसके बाद, वह तीन साल बाद अगले दौर के परीक्षाओं की घोषणा तक एक ब्रेक लेती थी.
केरल में स्ट्रीम -2 पदों के लिए आयु सीमा 40 है, लेकिन विशिष्ट श्रेणियों के लिए कुछ अपवाद हैं. अन्य पिछड़ा वर्ग समूह में छूट तीन साल के लिए है. अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और विधवाओं के लिए यह पांच साल के लिए है.
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