प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे से पहले मोरबी के सरकारी अस्पताल में आनन-फानन में चार नए वाटर कूलर लगाए गए थे लेकिन इनमें से एक में भी पानी नहीं था. वजह यह थी कि सप्लाई जोड़ी नहीं गई थी. मोरबी ब्रिज हादसे में 130 लोगों की मौत और कई घायलों को इस अस्पताल में जाए जाने के बाद अस्पताल प्रशासन को कितनी जल्दबाजी थी, यह इस बात का उदाहरण है. NDTV की ओर से रिपोर्ट दिखाए जाने के बाद अस्पताल प्रशासन ने वाटर कूलर्स का कनेक्शन जोड़ा.पीएम मोदी ने उस वार्ड में कुछ घायलों से मुलाकात की जिसे हाल ही में पेंट किया गया था. मरीजों को नए लिनेन वाले नए बेड्स में शिफ्ट किया गया था. NDTV को जानकारी मिली है कि इन पेशेंट्स को सिलेक्ट किया गया और इन्हें बातचीत के बारे में पहले से ही बता दिया गया था.
एक महिला, जो पेशेंट के साथ थी, ने बताया, "यह सब दिखाने के लिए है. वाटर कूलर यहां पहले नहीं था." एक अन्य महिला ने कहा कि अस्पताल में मूलभूत सुविधाओं को अभाव है. मोरबी ब्रिज हादसे के 'प्रभावितों' को यहां लाए जाने और पीएम मोदी के यहां आने के बारे में पता चलने के बाद यह सब हुआ. ग्राउंड फ्लोर पर जो वार्ड पहले खाली थी, उसकी जमकर साफसफाई की गई और नए बेड्स लगाए गए. नई बेडशीट्स में कुछ पर जामनगर के अस्पताल की मार्किंग हैं जो कि मोरबी से करीब 160 किमी दूर है.
ग्राउंड रिपोर्टिंग में हर बेड के आगे रातोंरात नया IV ड्रिप स्टेंड दिखाई दिया. पीएम के आगमन से पहले मूलरूप से यहां लाए गए आठ मरीजों में से दो को दूसरे वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया. अस्पताल के बाहरी हिस्से की पुताई के लिए रात में करीब 40 कर्मचारी जुटे हुए थे. पीएम ने जहां घायलों से मुलाकात की, उन वार्ड के अंदर भी चीजें चाकचौबंद कर दी गईं. टॉयलेट्स में भी नई टाइल्स लगा दी गई.
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